28 सितंबर को कांग्रेस में शामिल होंगे जिग्नेश मेवाणी और कन्हैया कुमार
By: Pinki Sat, 25 Sept 2021 2:39:25
पंजाब और गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) से पहले सियासी उठापठक शुरू हो गई है। दोनों राज्यों में मुख्यमंत्री बदलने के बाद अब खबर है कि CPI नेता और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। हाल ही में कन्हैया कुमार ने इस बारे में राहुल गांधी से मुलाकात की थी। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इन दोनों बैठकों में प्रशांत किशोर भी मौजूद थे। हालांकि, कन्हैया कुमार ने राहुल गांधी से किसी भी तरह की मुलाकात की बात को लगातार खारिज किया है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के पास कन्हैया कुमार के लिए प्लान है, जिसपर अमल किया जाएगा। बिहार में कांग्रेस जल्द ही अपने नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान भी कर सकती है। वहीं, गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी कांग्रेस का हाथ थामने के लिए तैयार है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले की वडगाम सीट से उम्मीदवार नहीं उतारकर जिग्नेश की मदद की थी। समाचार ऐजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि दोनों नेता के कांग्रेस में शामिल होने का ऐलान 28 सितंबर को किया जा सकता है।
CPI leader Kanhaiya Kumar and RDAM MLA Jignesh Mewani from Gujarat to join Congress on September 28: Sources
— ANI (@ANI) September 25, 2021
(file phots of Mewani and Kumar, respectively) pic.twitter.com/9lCzGBvBme
कन्हैया कुमार को 2019 लोकसभा के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। वो भाकपा के टिकट से चुनावी मैदान में उतरे थे। भाजपा के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह ने उन्हें बड़े अंतर से हराया था। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर वे कांग्रेस का दामन थामते हैं तो ये उनकी राजनीतिक पारी की नई शुरुआत होगी। कहा ये भी जा रहा है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार के सहारे बिहार में अपनी कमज़ोर होती जमीन को मजबूत करना चाहती है।
पिछले दो सालों में कई युवा नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुष्मिता देव, जितिन प्रसाद और प्रियंका चतुर्वेदी का नाम शामिल है।
कन्हैया और जिग्नेश अगर अगर कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र में प्रचार के लिए भी इस्तेमाल कर सकती है। क्योंकि सपा-बसपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे, पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।