Covid-19: कोरोना के B.1.617 वैरिएंट के खिलाफ कम एंटीबॉडी बना रहीं Covishield-Covaxin
By: Pinki Sun, 16 May 2021 10:26:05
कोरोना वायरस अपना रूप बदलकर और जानलेवा होता जा रहा है। ऐसे में दुनियाभर में बनाई गई वैक्सीन के इन वैरिएंट पर प्रभावीकरण को भी परखा जा रहा है। इस बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध की अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट्स में जानकारी दी है कि भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सिन (Covaxin) कोरोना वायरस के B.1.617 वैरिएंट के खिलाफ कम एंटीबॉडी तैयार कर पा रही हैं, लेकिन ये वैक्सीन कोरोना के अन्य वैरिएंट पर प्रभावी हैं।
दरअसल, एनआईवी के वैज्ञानिकों ने कोवैक्सिन की दो डोज ले चुके लोगों के खून के सीरम से निकाले गए एंटीबॉडी पर कोरोना वायरस के B.1.617 म्यूटेशन के साथ टेस्ट किया। उनमें बी।1 के खिलाफ उत्पन्न एंटीबॉडी की तुलना में लगभग 55% कम एंटीबॉडी पाई गईं। कोविशील्ड के मामले में, B.1.617 के लिए एंटीबॉडी का स्तर 21.9% था जबकि B1 वैरिएंट के लिए यह 42.92% था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब एंटीबॉडी के स्तर की तुलना बी.1.1.7 (ब्रिटिश स्ट्रेन) से की गई, तो केवल 6% की कमी देखी गई, जबकि ब्राजीलियाई स्ट्रेन (पी2) के खिलाफ भी कमी देखने को मिली।
आईसीएमआर, दिल्ली के एपिडिमियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ समिरन पांडा के अनुसार इस तरह की कमी दर्शाती है कि कोविशील्ड और कोवैक्सिन B.1.617 के खिलाफ एकसमान प्रभावी हैं।
पूरी दुनिया में वैक्सीन ट्रायल पर सामने आईं रिपोर्ट से जानकारी मिलती है कि वायरस में हो रहे विभिन्न म्यूटेशन उसे शरीर में इम्यून सिस्टम और एंटीबॉडी से बच निकलने में मदद करते हैं। कई लैब इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या वैक्सीन विभिन्न वैरिएंट पर प्रभावी हैं या नहीं।
बता दे, इस समय भारत में B.1.617 वैरिएंट बड़ी संख्या में बढ़ता दिख रहा है। कोरोना वायरस का B.1.617 वैरिएंट पहली बार महाराष्ट्र में पाया गया था। भारत में इस समय दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं- कोविशील्ड और कोवैक्सिन। यह कोरोना वायरस के बी1 वैरिएंट के ब्लूप्रिंट पर डिजाइन की गई हैं। पिछले साल अप्रैल में बी1 देश में फैला सर्वाधिक स्ट्रेन था।
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