अहमदाबाद। आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह के खिलाफ अहमदाबाद मेट्रो कोर्ट में 2023 में मानहानि का केस दर्ज किया गया था। दोनों पर प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठाकर गुजरात यूनिवर्सिटी को बदनाम करने का आरोप था। इसके बाद केजरीवाल ने मेट्रो कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अपने और संजय सिंह के लिए अलग से मुकदमा चलाने की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके जवाब में अब दोनों नेताओं ने अहमदाबाद के सिटी और सिविल सेशन कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की है।
संजय सिंह की पुनर्विचार याचिका में तर्क दिया गया है कि उन्हें उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के खिलाफ अपना बचाव प्रस्तुत करने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। हालाँकि याचिका दायर करने में देरी हुई थी, लेकिन अदालत ने न्याय के हित में इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। देरी से आवेदन करने की अवधि को माफ करने की शर्त के रूप में, केजरीवाल और सिंह दोनों को गुजरात विश्वविद्यालय को ₹10,000-₹10,000 का भुगतान करने का आदेश दिया गया है।
उनके आवेदन का विरोध करते हुए गुजरात विश्वविद्यालय के वकील अमित नायर ने दलील दी कि आरोपियों के पास मेट्रो कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए पर्याप्त समय था, लेकिन उन्होंने जानबूझकर कार्यवाही में देरी की। हालांकि, सत्र न्यायालय ने फैसला सुनाया कि मामले का मूल्यांकन प्रक्रियागत तकनीकी पहलुओं के कारण नहीं बल्कि गुण-दोष के आधार पर किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा कि केजरीवाल ने 308 दिन देरी से अपना आवेदन दायर किया है, जिसके लिए उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साथ चल रही कानूनी लड़ाई, कारावास, लोकसभा, दिल्ली विधानसभा, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर चुनावों के लिए चुनाव प्रचार, तथा मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला दिया है।
इसी तरह संजय सिंह की याचिका 346 दिन देरी से दायर की गई थी। उन्होंने दलील दी कि उन्हें मेट्रो कोर्ट में अपना बचाव पेश करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। उन्होंने जेल में बिताए गए अपने कार्यकाल, राज्यसभा सांसद के रूप में संसद सत्र में भाग लेने, 2024 के लोकसभा चुनाव अभियान में शामिल होने और वक्फ विधेयक पर संयुक्त संसदीय आयोग में उनकी भूमिका जैसे कारणों का भी हवाला दिया। इन परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने अनुरोध किया कि उनकी समीक्षा याचिका को अनुमति दी जाए।