
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की रोमांचक यात्रा के लिए एक्सिओम-4 मिशन का प्रक्षेपण, कई बार टलने के बाद आखिरकार बुधवार को सफलता की ऊंचाई छूता हुआ पूरा हुआ। इस ऐतिहासिक मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और तीन अन्य अनुभवी यात्री शामिल हैं। भारतीय समयानुसार, दोपहर 12 बजकर 1 मिनट पर एक्सिओम मिशन-4 ने गर्व से अपनी उड़ान भरी।
स्पेस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यह पल न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि हर उस इंसान के लिए खास बन गया है जो अंतरिक्ष विज्ञान के विकास में विश्वास रखता है। अमेरिका की प्रतिष्ठित निजी अंतरिक्ष कंपनी स्पेसएक्स इस अंतरिक्ष मिशन के लिए प्रमुख परिवहन सेवा प्रदान कर रही है।
स्पेसएक्स ने मंगलवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर उत्साह के साथ जानकारी दी थी कि उड़ान के लिए मौसम की स्थिति करीब 90 प्रतिशत अनुकूल बताई गई है, जिससे मिशन के सफल प्रक्षेपण की उम्मीदें और भी मजबूत हो गई थीं।
कंपनी ने अपने पोस्ट में कहा, "बुधवार को अंतरिक्ष स्टेशन की दिशा में जाने के लिए एक्सिओम स्पेस के एएक्स-4 मिशन के प्रक्षेपण की सभी तकनीकी प्रणालियां पूरी तरह से दुरुस्त हैं और मौसम भी पूरी तरह साथ दे रहा है।"
वहीं अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) ने पुष्टि की कि नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स ने मिलकर चौथे निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन 'एक्सिओम मिशन-4' के प्रक्षेपण की तारीख 25 जून तय की थी। समय भी भारतीय मानक समय के अनुसार दोपहर 12 बजकर 1 मिनट निर्धारित किया गया था, जो बिल्कुल समय पर सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
#WATCH | Lucknow, Uttar Pradesh: Mother of IAF Group Captain & astronaut Shubhanshu Shukla, Asha Shukla, get emotional as she cheers for her son, who is part of the #AxiomMission4 pic.twitter.com/YEWrVE3lfi
— ANI (@ANI) June 25, 2025
WATCH | #Axiom4Mission lifts off from NASA's Kennedy Space Centre in Florida, US. The mission is being piloted by India's IAF Group Captain Shubhanshu Shukla. The crew is travelling to the International Space Station (ISS) on a new SpaceX Dragon spacecraft on the company's Falcon… pic.twitter.com/jPDKcB44NM
— ANI (@ANI) June 25, 2025
इस प्रेरणादायक मिशन का नेतृत्व कर रही हैं अनुभवी अंतरिक्ष यात्री और कमांडर पैगी व्हिटसन, जबकि भारत के साहसी और प्रतिभाशाली शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसके अलावा हंगरी के अंतरिक्ष यात्री टिबोर कपू और पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की मिशन विशेषज्ञ के रूप में शामिल हैं।
मिशन की सफलता को लेकर भारत में, विशेष रूप से शुभांशु के परिवार में उत्साह और गर्व का माहौल है। उनके पिता शंभु दयाल शुक्ला की आंखों में गर्व के आंसू छलक उठे। उन्होंने भावुक स्वर में कहा, “आज का दिन मेरे जीवन का सबसे सुखद और गर्वपूर्ण दिन है। मुझे ऐसे बेटे का पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है, जिसने देश का नाम रोशन किया है।”
इस महत्वपूर्ण मिशन का प्रक्षेपण मूल रूप से 29 मई को होना था, लेकिन कुछ तकनीकी समस्याओं ने इसमें बाधा डाली। फाल्कन-9 रॉकेट के बूस्टर में तरल ऑक्सीजन के रिसाव और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के पुराने रूसी मॉड्यूल में भी रिसाव की जानकारी के कारण इसे पहले 8 जून, फिर 10 और 11 जून तक के लिए स्थगित करना पड़ा।
बाद में मिशन की तारीख को 19 जून तक टाल दिया गया, लेकिन नासा द्वारा रूसी मॉड्यूल में जरूरी मरम्मत और कक्षीय प्रयोगशाला की समीक्षा के बाद प्रक्षेपण की नई तारीख 22 जून निर्धारित की गई। हालांकि, अंतिम रूप से यह 25 जून को लॉन्च हुआ, और यह प्रतीक्षा का फल काफी शानदार रहा।
यह गौरवपूर्ण मिशन फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर के प्रसिद्ध 'लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए' से प्रक्षेपित किया गया। नासा ने जानकारी दी कि डॉकिन्ग (Docking) का समय गुरुवार 26 जून को सुबह करीब 7 बजे (भारतीय समयानुसार शाम साढ़े चार बजे) तय किया गया है।
इस मिशन के जरिए न केवल भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का अवसर मिला है, बल्कि यह लाखों युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा बन गया है जो अंतरिक्ष विज्ञान में अपना भविष्य तलाश रहे हैं।














