
संचार साथी ऐप को लेकर पिछले कुछ दिनों से चल रही बहस पर सरकार ने बड़ा स्पष्टीकरण दे दिया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को स्पष्ट कहा कि यह ऐप पूरी तरह वैकल्पिक है—न इसे मोबाइल में रखना जरूरी है और न ही इसे इस्तेमाल करना। सिंधिया के इस बयान के बाद उन सभी अटकलों पर विराम लग गया है, जिनमें विपक्ष ने इस ऐप के ज़रिये निगरानी और जासूसी किए जाने का आरोप लगाया था।
“न कोई जासूसी, न कॉल की निगरानी”
मंत्री सिंधिया ने मीडिया से बातचीत में कहा, “इस ऐप से न तो किसी प्रकार की जासूसी होती है और न ही कॉल रिकॉर्डिंग या मॉनिटरिंग की जाती है। यह आपके ऊपर है—आप चाहें तो इसे इंस्टॉल रखें, और चाहे तो कभी भी डिलीट कर दें। यदि उपयोग नहीं करना, तो इसे एक्टिवेट करने की भी जरूरत नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह ऐप केवल उपभोक्ताओं को ऑनलाइन धोखाधड़ी, मोबाइल चोरी और SIM से जुड़े फ्रॉड से बचाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। “अगर आपको लगता है कि इसकी जरूरत नहीं है, तो इसे फोन से हटाने में कोई समस्या नहीं है,” सिंधिया ने दोहराया।
नवंबर के निर्देशों पर बढ़ा था विवाद
ज्ञात हो कि दूरसंचार विभाग ने कुछ समय पहले निर्देश जारी किए थे कि भारत में उपयोग किए जाने वाले मोबाइल फोनों में संचार साथी ऐप आवश्यक होगा। इसी को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि यह सरकार का निगरानी टूल है, जो नागरिकों की गतिविधियों पर नज़र रखेगा। विवाद बढ़ने के बाद सरकार ने अब साफ कर दिया है कि यह ऐप पूरी तरह से उपभोक्ता की मर्ज़ी पर निर्भर है।
“रजिस्टर नहीं करेंगे तो एक्टिवेट ही नहीं होगा”
सिंधिया ने स्पष्ट कहा— “अगर आप रजिस्टर नहीं करेंगे, तो ऐप सक्रिय कैसे होगा? यह किसी भी यूजर के ऊपर थोपे जाने जैसा बिल्कुल नहीं है। हम सिर्फ यह चाहते हैं कि देश के हर नागरिक को इस ऐप के बारे में जानकारी हो क्योंकि यह फ्रॉड से बचाने में मददगार है। उपयोग पूरी तरह आपकी इच्छा है।”
उन्होंने कहा कि देश में कई लोग मोबाइल चोरी, फर्जी कॉल और साइबर फ्रॉड के शिकार बनते हैं। ऐसे में यह ऐप सुरक्षा का एक साधन है, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है।














