...जब बच्चा अपने पहले क्रश के बारे में बताए, तो घबराएं नहीं, ऐसे करें हैंडल
By: Nupur Rawat Wed, 05 May 2021 8:01:19
बतौर पैरेंट हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे स्कूल लाइफ के दौरान किसी से प्यार-व्यार के पचड़े में न पड़े। पर अक्सर होता वही है, जो हम दिल से नहीं होने की दुआ करते हैं। एक दिन स्कूल से आने के बाद आपका बच्चा आपसे कुछ सकुचाते, कुछ उत्साह में, पर बड़ी ही मासूमियत के साथ यह बताता है कि वह किससे प्यार करता/करती है।
आपको यह सुनते ही तुरंत झटका लगता है। आप भले ही उसकी बातों को आधे-अधूरे मूड से सुन रहे होते हैं, पर यह वाली बात आपको अलर्ट कर देती है। आप तुरंत अपने बच्चे पर सवालों की बौछार करने लग जाते हैं। कई पैरेंट्स तो इस तरह की बात करने के लिए बच्चों को करारी डांट भी लगा देते हैं। पर सच तो यह है कि यह सुनकर आप चाहे जितने भी असहज महसूस करते हों, पर आपको ओवर रिऐक्ट नहीं करना चाहिए।
शांत दिमाग़ से उनकी सारी बातों को सुनें। ऐसा होना बड़ा ही सामान्य है। विशेषज्ञों की मानें तो बच्चे पांच या छह साल की छोटी उम्र से ही अपने क्लासमेट्स की तरफ़ आकर्षित होना शुरू हो जाते हैं। तो यदि आपका बच्चा अपने क्रश के बारे में बताए तो उसे विश्वास में लेते हुए बातचीत शुरू करें।
सबसे पहले अपने पुराने दिनों को याद करें और सहज रहें
आपका बच्चा जो आपसे आज कह रहा है, उसी तरह की भावना आपके मन में बचपन में डेवलप हुई थी। यह अलग है कि आप मम्मी और पापा से इतना डरते थी कि जानते थे कि इस बारे में बात करने की क्या सज़ा मिल सकती है। आपका बच्चा मासूमियत से अपनी बात बता रहा है तो उसे सुनें। उसे पूरी बात बताने के लिए प्रोत्साहित करें।
बेशक, अंदर ही अंदर आपको हंसी आ रही होगी या फिर बहुत ज़्यादा ही चिंता हो रही होगी, पर उसे ज़ाहिर न करें। पूरी बात पता चलने के बाद आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि सबकुछ ठीक ठाक है। अगर आपने उसे डांटा तो आप उसके मन में उस क्लासमेट के प्रति लगाव को बढ़ा देंगे। वह आपसे चीज़ें छुपाने लगेगा। उसे लगेगा कि किसी के प्रति आकर्षित होना कोई ग़लत बात है, जो पैरेंट्स से नहीं करनी चाहिए।
बच्चे को समझाएं कि क्या सही है और क्या ग़लत
बच्चे को बताएं कि
दोस्तों के प्रति लगाव होने में कोई ग़लत बात नहीं है। सारे दोस्त एक-दूसरे
के प्रति लगाव महसूस करते हैं। वे साथ खेल सकते हैं, पर एक-दूसरे को किस
नहीं कर सकते। हां, उन्हें अपने इस ख़ास फ्रेंड के बारे में सारी चीज़ें
आपके साथ शेयर करनी होगी। वे एक-दूसरे के फ्रेंड हैं, गर्लफ्रेंड या
बॉयफ्रेंड नहीं। अगर कोई दोस्त उन्हें इस तरह से चिढ़ाए तो वे तुरंत आपको
आकर बता दें।
अगर आपका बच्चा किसी दूसरे बच्चे की ओर एकतरफ़ा आकर्षण महसूस
कर रहा हो तो भी उसे समझाएं। उसे बताएं कि अगर सामने वाला उससे दोस्ती नहीं
रखना चाहता तो आपको ज़बर्दस्ती उससे दोस्ती रखने की कोशिश नहीं करनी
चाहिए। हमें दूसरे व्यक्ति की भावनाओं की क़द्र करनी चाहिए। हो सकता है
थोड़ा और बड़ा होने के बाद आपका बच्चा रिजेक्शन का सामना करे, उस केस में
भी उसे दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना सिखाएं। ज़बर्दस्ती किसी की
दोस्ती और प्यार हासिल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
बच्चों को डराएं नहीं, पर बहुत ज़्यादा प्रोत्साहित भी न करें
अक्सर
यह देखा जाता है कि लड़कों के माता-पिता को जब उनके बच्चे उस लड़की के
बारे में बताते हैं, जिसकी ओर आकर्षण महसूस करते हैं, तब माता-पिता चटखारे
लेकर सुनते हैं। हंसते हैं, बच्चे को चिढ़ाते हैं। पर आपका यह व्यवहार
बच्चे को ग़लत संदेश देगा। उन्हें लगेगा कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है जिससे
आपको गर्व महसूस हो रहा है। जिस तरह बच्चों को डराना ग़लत है, डांटना ग़लत
है, उसी तरह केवल इसलिए कि वह लड़का है, हल्के में लेना भी उतना ही ग़लत
है। आपको मामले को संवेदनशीलता के साथ हैंडल करना चाहिए।