अपने बेटियों को बचपन से ही सिखाएं ये 6 चीजें, मजबूत शख्सियत के साथ मिलेगा उज्ज्वल भविष्य
By: Ankur Fri, 21 Jan 2022 2:16:49
आज का समय हैं जहां लड़के और लड़कियां दोनों कदम के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं। दोनों के बीच चली आ रही भेदभाव की कुरीति अब खोती हुई नजर आ रही हैं। पहले जहां माता-पिता बेटियों से कतराते थे वहीँ अब पेरेंट्स अपनी बच्चियों को मजबूती के साथ प्रदर्शित करते हैं और उनका हर कदम पर साथ देते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी होती हैं कि अपनी बच्चियों के आत्मविश्वास को जगाते हुए उन्हें हमेशा हतोत्साहित करें। इसी के साथ ही जरूरी हैं कि बचपन से ही बेटियों को कुछ ऐसी चीजें सिखाई जाए कि वे खुद को मजबूत शख्सियत के रूप में देखते हुए उज्ज्वल भविष्य बना सकें। तो आइये जानते हैं इन चीजों के बारे में जो बेटियों को जरूर सिखानी चाहिए..
खुद की देखभाल करना
ज्यादातर लड़कियां खुद पर ध्यान ना देने के बजाय पूरी देखभाल परिवार, बच्चे, पति, माता-पिता आदि की करती हैं। ऐसे में माता-पिता अपनी बेटियों को यह बताएं कि दूसरों का ख्याल तभी रखा जा सकता है जब वह पहले अपना ख्याल रखें। जब बेटियां खुद तंदुरुस्त होंगी तभी वह दूसरों का ख्याल रख सकेंगी। ऐसे में बेटियों के लिए पहली सीख यह होनी चाहिए कि वे खुद का ख्याल रखें।
आत्मनिर्भर बनना है जरूरी
शादी से पहले माता पिता पर निर्भर रहना और शादी के बाद पति पर निर्भर रहना बेटियों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचा सकता है। ऐसे में आत्मनिर्भर बनाना भी माता-पिता की जिम्मेदारी है। बेटियों को बताएं कि जब आत्मनिर्भर बनेंगी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तभी ना केवल लोग उनकी इज्जत करेंगे बल्कि लोग महत्व देना भी शुरू करेंगे। ऐसे में बेटियों के लिए दूसरी सीख होनी चाहिए बेटियों को आत्मनिर्भर बनना।
खुद के लिए लड़ना जरूरी
बीते कई सालों से हमारी सोसाइटी या समाज कई मामलों में बेटियां या महिलाओं की आवाज दबाता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी लड़के ने कोई गलत कमेंट पास किया तो इसके लिए भी जिम्मेदार लड़कियों के कपड़ों को माना जा सकता है। ऐसे में घर पर छिपकर बैठने से अच्छा है कि माता-पिता लड़कियों को खुद के लिए लड़ना सिखाएं। जब लड़कियां खुद के लिए आवाज उठाएंगी तभी दूसरे भी उनके हित में बोलेंगे और उनके साथ खड़े रहेंगे। ऐसे में बेटियों के लिए तीसरी सीख होनी चाहिए खुद के लिए लड़ना।
अपने फैसले खुद लेना
लड़कियों को जरूरी निर्णय लेना आना चाहिए। ऐसे में माता-पिता बचपन से ही बेटियों के जीवन से जुड़े निर्णय उन्हें खुद लेने दें। हालांकि अगर वह कोई गलत निर्णय ले रही हैं तो माता-पिता सही राह दिखा सकते हैं। लेकिन बेटियों को खुद से निर्णय लेने से न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि उन्हें जीवन की समझ भी आएगी। जब बचपन से ही लड़कियां जीवन से जुड़े निर्णय खुद लेंगी तो आगे चलकर वह सही निर्णय का आंकलन भी कर पाएंगी।
आजादी से रहना है जरूरी
बेटियों को आजादी का मतलब समझाएं। अगर कोई उनकी बात काट रहा है या उन्हें कहीं आने जानें से रोक रहा है तो ऐसे में बेटियों की आजादी पर सवाल उठेगा। ऐसे में माता-पिता बचपन से ही बेटियों को आजादी का मतलब समझाएं और उन्हें बताएं कि सब अपना जीवन अपने हिसाब से जी सकते हैं। वहीं अगर कोई तुम्हारे जीवन से जुड़े निर्णय ले रहा है तो इसका मतलब यह हक तुमने उसे दिया है। ऐसे में लड़कियों को यह सीखाएं कि उन्हें आजादी से किस प्रकार जीना है।
लड़कियों को बोलना आना चाहिए 'ना'
अकसर लड़कियां किसी न किसी दबाव में आकर या परिवार वालों के मान को बचाने के कारण हां बोल देती हैं। ऐसे में वह भूल जाती हैं कि उनके हां या ना पर पूरी जिंदगी दांव पर लगी है। ऐसे में माता-पिता बचपन से ही लड़कियों को सिखाएं की कैसी भी परिस्थिति आए यदि उस परिस्थिति में आपको लगता है कि आपके हां बोलने से आपका जीवन नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है तो ऐसे में ना बोलना ही सही है। किसी भी दबाव में आकर कोई निर्णय न लें।