बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए कभी ना करें उनकी पिटाई, जान लें इससे होने वाले नुकसान

By: Ankur Sat, 13 Aug 2022 11:34:29

बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए कभी ना करें उनकी पिटाई, जान लें इससे होने वाले नुकसान

हर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा अनुशासित रहे और किसी प्रकार की शरारत ना करें। लेकिन बच्चे तो नादान होते हैं जो सिर्फ प्यार की भाषा समझते हैं। लेकिन कई पेरेंट्स उनके साथ सख्ती से पेश आते हैं और कई बार पिटाई भी कर देते हैं। आप नहीं जानते आपका यह रवैया किस तरह बच्चों के स्वभाव को नुकसान पहुंचा रहा हैं। जी हां, पेरेंट्स की यही गलतियां बच्चों की लाइफ पर बुरा प्रभाव डालती हैं। अगर आप भी उन पैरेंट्स में से एक हैं जो बच्चों को डांट-डपटकर रखते हैं तो आज हम आपको इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आपको अपनी गलती का अहसास होने लगेगा। आइये जानते हैं पिटाई से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में...

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खुद पर विश्वास की कमी

बच्चों पर अपने निर्णय या अपेक्षाओं का बोझ डालने से उनमें आत्मविश्वास की कमी हो सकती है। कई माता-पिता बच्चे को भविष्य में क्या करना या क्या बनना है। इस बात का निर्णय स्वयं करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में वह अपने सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डालने की कोशिश करते हैं और इसके लिए वह उन्हें मारना-पीटना भी सही समझते हैं। इससे उन्हें लगता है कि उनका बच्चा ज्यादा कामयाब हो सकता है। लेकिन, इसके उल्ट आपका बच्चा आगे चलकर भी अपने जीवन में सही निर्णय नहीं ले पाता है और कोई भी निर्णय लेने में बहुत डरता है या फिर अपना आत्मविश्वास खो देता है। इसलिए बच्चों के हमेशा गाइड करने की कोशिश करें लेकिन उनपर अपने फैसले थोपने की कोशिश न करें।

बच्चे भी बन जाते हैं हिंसक

अगर आप बच्चों पर हाथ उठाकर उन्हें अनुशासन सिखाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें ऐसा लगने लगता है कि मारपीट करना सही है और वो भी अपने आसपास के लोगों के साथ ऐसा ही करते हैं। बच्चे अपने आसपास के लोगों और पैरेंट्स से ही सीखते हैं। छोटी-छोटी बातों पर बच्चे को डांटने से उसके मन में डर बैठ सकता है और बड़ा होकर वो भी दूसरों के साथ ऐसा ही व्यवहार कर सकता है।

आत्म सम्मान में कमी


कई पेरेंट्स बच्चों को बात-बात पर डांटना सही समझते हैं। ऐसा करने से उन्हें लगता है कि इनका बच्चा अनुशासन में रहता है। उनकी बात सुनता है और उनसे डरता है लेकिन ऐसा करने से बच्चे के आत्मसम्मान पर असर पड़ता है। दरअसल कई माता-पिता ऐसे भी होते हैं, जो अपने बच्चे को पब्लिक प्लेस पर डांटने से भी नहीं चूकते हैं। ऐसे में बच्चे को दूसरों के सामने भी काफी छोटा महसूस होता है। फिर वे खुलकर अपनी बातों को रखने में डरते हैं या कहीं भी कुछ कहने से कतराने लगते हैं। यह बच्चों के विकास के लिए बिल्कुल सही नहीं होता है। इसलिए हमेशा बच्चों को प्यार से समझने की कोशिश करें और हो सके तो उन्हें दूसरों के सामने बिल्कुल न डांटें।

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बिगड़ता है बच्चा
बच्चे पर हाथ उठाने से न केवल उसे शारीरिक पीड़ा होती है बल्कि वह भावनात्मक रूप से भी आहत महसूस करता है। पैरेंट्स की पिटाई बच्चों को भावनात्मक रूप से झकझोर देती है। अगर पैरेंट्स बार-बार बच्चे को उनकी गलती ही बताते रहें तो इससे बच्चे को लगने लगता है कि वो एक अच्छा इंसान नहीं है। वो खुद को बुरा मानने लगता है और बड़ा होकर अपनी ही इज्जत नहीं कर पाता है।

अकेलापन महसूस होना

जब बच्चा अपने मन की बात कह नहीं पाते हैं या हमेशा माता-पिता के निर्देशों का पालन करने वाले बच्चे अक्सर अकेले रह जाते हैं। शायद बहुत अधिक अनुशासन में रहने के कारण इनके दोस्त भी कम बन पाते हैं। ऐसे बच्चे अपनी दिल की बात भी बहुत कम लोगों से कह पाते हैं। ऐसे बच्चे अपने मन की बातें अपने तक ही रखते हैं और आसानी से दूसरों से खुलकर बात नहीं करते हैं। जिसके कारण वे डिप्रेशन और स्ट्रेस का शिकार हो सकते हैं। बुरे समय को झेलने की क्षमता इनमें कम होती है।

विद्रोही हो जाते हैं

बच्चों पर हाथ उठाने वाले पैरेंट्स अक्सर यह नहीं समझ पाते हैं कि ऐसा करके वो अपने बच्चों को ही अपने से दूर कर रहे हैं। अगर आपकी ये आदत बहुत ज्यादा बढ़ गई है तो वो एक या दो बार तो डरेगा, लेकिन इसके बाद विद्रोही बन जाएगा। माता-पिता से अक्सर मार खाने वाले बच्चों के मन में नेगेटिविटी इस कदर बस जाती है कि वे एक समय पर अपने पेरेंट्स की वैल्यू जरा भी नहीं समझते। कई मामलों में बच्चों के मन में पेरेंट्स के लिए नफरत तक भरी होती है।

गुस्सा बढ़ सकता है

जिन बच्चों के साथ मारपीट होती है, उनमें अक्सर गुस्सा अधिक देखा जाता है। अगर छोटी-छोटी बातों पर बच्चे की पिटाई करते हैं तो इससे बच्चे के मन में गुस्सा पैदा होने लगता है। ये गुस्सा किसी भी नकारात्मक तरीके से बाहर आ सकता है। बच्चा माता-पिता के हिंसात्मक व्यवहार को अपनाकर दूसरी जगह इस्तेमाल करता है और इस सिचुएशन में सामने वाले बच्चे को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। कभी-कभी बच्चा यहां तक सोचने लगता है कि छोटे लोगों को मारना सही होता है। वह अपने से छोटे बच्चों को हमेशा पीटने या डांटने की कोशिश करने लगता है।

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