खुशबू प्यार को सदा रखती जवां, बदबू से हो जाते हैं दूर, यहां जानें और भी इंटरेस्टिंग फैक्ट्स
By: Nupur Rawat Sat, 29 May 2021 4:56:02
ख़ुशबू का संबंध तो खानपान और रोमांस जैसे लेखों में होता है। डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो अगर आप ख़ुशबू से प्यार करना सीख जाते हैं, उसे अपना लेते हैं तो सफलता भी आपकी ओर खिंची चली जाएगी। आइए उन्हीं से जानें, सफलता और ख़ुशबू का मनोवैज्ञानिक संबंध।
ख़ुशबू का मनोविज्ञान
ख़ुशबू उन चंद ख़ास उद्दीपनों में से
एक है जिसका मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। जहां पर अच्छी ख़ुशबू
आती है हम उस स्थान के प्रति आकर्षित होते हैं और जहां पर बदबू होती है उन
स्थानों से हम विकर्षित होते हैं, उनसे दूर होना चाहते हैं और फिर वापस
वहां कभी नहीं जाना चाहते।
हमारी यादों को बनाने में ख़ुशबुओं का
बहुत बड़ा योगदान होता है। ख़ुशबुएं हमारी बरसों पुरानी यादों को फ़ौरन
ताज़ा कर देती हैं। किसी ख़ास ख़ुशबू को सूंघकर आपको किसी ख़ास व्यक्ति की
याद आ सकती है या किसी ख़ास जगह की या किसी ख़ास भोजन की याद आ सकती है।
ख़ुशबुओं से हम किसी के प्रेम में पड़ सकते हैं और बदबू से किसी से दूर हो
सकते हैं।
ख़ुशबू का इतिहास
ख़ुशबुओं के बारे में
हमारे पूर्वज भी बहुत बेहतर जानते थे। वे लोग इसमें और अधिक पारंगत थे जो
कि पूजा-स्थलों या इबादतगाहों से ताल्लुक रखते थे। लोबान, अगरबत्ती, धूप और
इत्र का प्रयोग हज़ारों सालों से इबादतगाहों में होता रहा है। इसके पीछे
का कारण यही है कि ख़ुशबू लोगों को मोहित करती है और उनके मन को शांति
प्रदान करती है। जो लोग चाहते हैं कि उनके धर्म के इबादतगाहों पर ज़्यादा से
ज़्यादा लोग आएं, वहां पर ज़्यादा से ज़्यादा समय तक रुकें और शांति का अनुभव
करें तो, उन्हें चाहिए कि वे अपने इबादतगाहों में एक बेहतरीन ख़ुशबू का
इंतजाम करें।
हल्की और भीनी-भीनी ख़ुशबू बहुत ही बेहतर असर दिखाती
है। इसके उलट तीक्ष्ण ख़ुशबू बुरा असर दिखाती है। यदि हम चाहते हैं कि
हमारे पूजा स्थलों या पवित्र स्थानों से लोग ज़्यादा से ज़्यादा जुड़ाव महसूस
करें तो हमें वहां पर बहुत ही सोच समझकर ख़ुशबू का इंतजाम करना चाहिए।
किसी को भी वहां पर घटिया ख़ुशबू, इत्र या अगरबत्ती न लगाने दी जाए।
आप
चाहे तो यह नियम बना सकते हैं कि,‘यहां पर किसी भी प्रकार की ख़ुशबू लगाना
मना है।’ इससे यह होगा कि वहां पर केवल एक चयनित ख़ुशबू ही उपयोग की जा
सकेगी। मेरा भरोसा कीजिए इसका बहुत ही बेहतरीन असर होगा। अधिकांश लोगों को
पसंद आने वाली ख़ुशबू का चयन करें जैसे गुलाब की या फिर मेरी फ़ेवरेट लेमन
ग्रास की ख़ुशबू।
ख़ुशबू का प्रैक्टिकल इस्तेमाल
इबादतगाहों
की तरह ही हमें अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भी ख़ुशबुओं का ध्यान
रखना चाहिए। यदि आप किसी रेस्टोरेंट के मालिक हैं तो वहां पर खाने की
ख़ुशबुएं आती रहना चाहिए। यदि आप चाय या कॉफी की शॉप चलाते हैं तो वहां पर
चाय या कॉफी की महकती हुई ख़ुशबू आनी चाहिए। आप देखिए इस बात का मैकडॉनल्ड,
केएफ़सी और स्टारबक्स कितना ध्यान रखते हैं। उनमें प्रवेश करना तो दूर
उनके पास से गुज़रने से ही उनकी ख़ुशबू ग्राहकों को आकर्षित कर लेती है और
उनके अंदर उनके उत्पादों को लेने का एक एहसास जगाती है।
प्रेमियों
के बीच में भी ख़ुशबू का बहुत महत्व है। ख़ुशबू प्रेम को बढ़ाती है और बदबू
प्रेम को कम करती है। ख़ुशबुओं ने कई प्रेम कहानियां शुरू की है तो बदबू
ने कई प्रेम कहानियों को खत्म। ख़ुशबू प्रेम को हमेशा जवान रखती है और इसके
विपरीत बदबू उसे बूढ़ा कर देती है, कभी कभी तो मार भी देती है।