सिर्फ पतंगों का त्यौहार नहीं है मकर संक्रांति, इसके साथ जुड़े हुए हैं कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स, पढ़ें...

By: Nupur Sat, 15 May 2021 5:22:40

सिर्फ पतंगों का त्यौहार नहीं है मकर संक्रांति, इसके साथ जुड़े हुए हैं कई इंटरेस्टिंग फैक्ट्स, पढ़ें...

मकर संक्रांति की हममें से ज़्यादातर लोगों की सबसे पुरानी यादों में छत पर खड़े होकर पतंग उड़ाना होगा! है ना? दूसरे बच्चों के साथ रंग-बिरंगी पतंगों से पेंच लड़ाते हुए यह दिन बीता करता था। किसी भी दोस्त के घर पहुंच जाएं, स्वागत तिल-गुड़ के साथ किया जाता है। हम सबकी यादों में मकर संक्रांति के त्यौहार की मज़ेदार यादें बसी हुई हैं। अच्छी फसल के लिए और नैसर्गिक संसाधनों के प्रति प्रकृति की कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाने वाला यह त्यौहार भारत के हर कोने में मनाया जाता है। क्या आपको पता है मकर संक्राति ही केवल एक ऐसा त्यौहार है, जो हर साल अंग्रेज़ी कैलेंडर में एक ही दिन आता है।

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मकर संक्रांति मनाने का मुख्य उद्देश्य है सूर्य के उत्तरायण को सेलिब्रेट करना। आज से क़रीब 1500 साल पहले तक संक्रांत या संक्रांति को सर्दियों के उच्चतम स्तर के तौर पर मनाया जाता था। उस दिन सीज़न का सबसे सर्द दिन रहा करता था। लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता धरती अपनी धुरी को बदल रही है, यही कारण है कि सर्दियों का सबसे ठंडा दिन अब बदल गया है।

अब सबसे सर्द दिन 21 दिसंबर हो गया है। मकर संक्रांति एकमात्र ऐसा हिंदू त्यौहार है, जिसे सोलर साइकल यानी सौर चक्र के अनुसार मनाया जाता है, जबकि बाक़ी सारे त्यौहार लूनर साइकल यानी चंद्र चक्र के अनुसार मनाए जाते हैं। यही कारण है कि यह एकमात्र ऐसा भारतीय त्यौहार है, जो हर वर्ष अंग्रेज़ी कैलेंडर यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर में एक ही दिन आता है। दरअसल ग्रेगोरियन कैलेंडर सोलर साइकल के आधार पर बनाया जाता है।


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लौहड़ी, पोंगल और बिहु जैसे त्यौहारों को मनाने का कारण भी मकर संक्रांति वाला ही है, पर उन्हें 13 और 14 जनवरी को सेलिब्रेट किया जाता है, क्योंकि ये हिंदू कैलेंडर की तिथि में होने वाले बदलाव पर नहीं, बल्कि अंग्रेज़ी कैलेंडर की तयशुदा तारीख़ पर मनाए जाते हैं। मकर संक्रांति को गुजरात में उत्तरायण भी कहा जाता है। असम में भोगली बिहु और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी नाम से जाना जाता है। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ देने के पीछे यह कारण है कि हमें आपसी झगड़े और मनमुटाव भूलकर नई शुरुआत करनी चाहिए। दूसरा कारण यह है कि गुड़ और तिल को खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में गर्मी मिलती है, जो कि सर्दियों में बेहद ज़रूरी है।


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संक्रांति के दौरान अल-सुबह पतंगें उड़ाने की प्रतियोगिताएं होती हैं, उसका वैज्ञानिक कारण यह है कि लोग सुबह की धूप में घर से बाहर निकलें। सुबह की धूप विटामिन डी का बेहतरीन स्रोत होती है। इसमें शरीर के लिए आवश्यक दूसरे कई पोषक तत्व होते हैं। संक्रांति के दिन धूप में निकलने से रोगाणु और दूसरे बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। इसी बहाने हम सर्दी में गर्मी लेने के लिए बाहर निकलते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही हर 12 साल में चार अलग-अलग जगहों (प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) पर महाकुंभ मेला शुरू होता है।

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सबसे बड़ा कुंभ मेला उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के प्रयाग में लगता है। यहां भारत की तीन सबसे पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। भारत के अलावा दूसरे देशों में भी मकर संक्रांति का उत्सव मनाया जाता है। भले ही उनके नाम अलग-अलग बताए जाते हों, पर कारण एक ही है। दक्षिण एशियाई देशों नेपाल, म्यानमार, श्रीलंका, थाईलैंड, लाओस और कम्बोड़िया में यह त्यौहार ख़ूब धूम-धाम से मनाया जाता है।

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