आस्था के लिए जाने जाते हैं भारत के ये जैन मंदिर, दर्शन के लिए हर साल पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

By: Neha Fri, 16 Dec 2022 3:59:37

आस्था के लिए जाने जाते हैं भारत के ये जैन मंदिर, दर्शन के लिए हर साल पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

भारत देश को अपनी धार्मिक आस्था के लिए जाना जाता हैं जहां कई धर्मों के लोग मिलझुलकर रहते हैं। इन्हीं धर्मों में से एक हैं जैन धर्म जो कि संसार के प्राचीनतम धर्मों में से एक हैं। जैन धर्म की अपनी अलग संस्कृति और पहचान है। इस धर्म के अनुयायियों ने भारत के कोने-कोने में अनेक ऐसे भव्य कलात्मक मंदिरो का निर्माण कराया हैं, जिनके दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। ये मंदिर जैन मतावलम्बियों के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, तो वहीँ पर्यटकों के लिए खूबसूरत वास्तु और भव्यता की ईमारत हैं। अज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ प्रसिद्द जैन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी कला और सौन्दर्य के लिए जाने जाते है। आइये जानते हैं इनके बारे में...

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श्री सम्मेदशिखरजी, झारखण्ड

श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र श्री सम्मेदशिखरजी, झारखण्ड राज्य के गिरडीह जिले में मधुवन नामक स्थान पर स्थित है। यह क्षेत्र जैन धर्मावलम्बियों के लिए विशेष महत्व रखता है तथा देश में सर्वाधिक चर्चित जैन धार्मिक स्थल है। सम्मेदशिखरजी शाश्वत निर्वाण भूमि है। यहां अनेक जैन मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया। बताया जाता है कि करीब 20 तीर्थकरों को भी मोक्ष मिला। मंदिरों के साथ-साथ पर्वत पर म्यूजियम एवं धर्मशालाऐं निर्मित हैं। तलहटी पर सड़क के दोनों ओर भी अनेक धर्मशालाऐं व दर्शनीय स्थल हैं। इस क्षेत्र पर मध्य लोक शोध संस्थान, दिगम्बर जैन चौपडा कुण्ड मंदिर, श्री त्रियोग आश्रम, सम्मेदाचल पार्श्व मंदिर, श्वेताम्बर म्यूजियम, पार्श्वनाथ मंदिर एवं आश्रम, श्वेताम्बर मंदिर-भूमियां, धर्म मंगल विद्यापीठ, तेरापंथी कोठी, बीस पंथी कोठी, कल्याण निकेतन आश्रम, माताजी का तिमंजिला मंदिर, चन्द्रसागर मंदिर, अणिंदा पार्श्वनाथ मंदिर, बाहुबलि मंदिर, नंदीश्वर मंदिर, तीनलोक मंदिर, तीस चौबीसी मंदिर तथा अन्य मंदिर दर्शनीय हैं। मधुवन से पहाड़ की यात्रा पैदल करना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां वर्ष भर यात्री आते हैं।

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दिलवाड़ा मंदिर, राजस्थान

भव्य सुंदरता से बने दिलवाड़ा मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में हुआ था। यहां संगमरमर में की गई बारीक और खूबसूरत नक्काशी आज भी बहुत अच्छी तरह से संरक्षित है। राजस्थान की अरावली श्रृंखला में स्थित, यहां के 5 मंदिर अलग-अलग तीर्थांकरों को समर्पित हैं, और हर मंदिर में जैनी ऋषियों के चित्र, सुंदर नक्काशी वाले स्तंभ और 360 जैन तीर्थांकरों की मूर्तियां शामिल हैं। यह मंदिर परिसर कई लोगों द्वारा दुनिया का सबसे सुंदर जैन मंदिर माना जाता है। यहां के सभी 5 मंदिर एक दूसरे से भिन्न हैं जिनमें से प्रत्येक का नाम राजस्थान के एक गाँव के नाम पर रखा गया है। ये पांच मंदिर हैं विमल वसाही मंदिर, लुना वसाही मंदिर, पीथालहर मंदिर, खरतार वसाही मंदिर और श्री महावीर स्वामी मंदिर।

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गोमतेश्वर मंदिर, कर्नाटक

गोमतेश्वर मंदिर कर्नाटक के हासन जिले के श्रवणबेलगोला में स्थित भारत के सबसे प्राचीन जैन मंदिरों में से एक है। बता दे गोमतेश्वर मंदिर को श्रवणबेलगोला मंदिर या बाहुबली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में मुख्य देवता प्रथम जैन तीर्थंकर की 17 मीटर ऊँची मूर्ति स्थापित है जो दुनिया में सबसे बड़ी अखंड मूर्ति है। गोमतेश्वर मंदिर 10 वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजा राजमल्ल के जनरल चामुंडराय द्वारा बनबाया गया था। प्रतिमा के आधार पर माना जाता है की शिलालेख तमिल और कन्नड़ में लिखे गए हैं। गोमतेश्वर मंदिर में महामस्तकाभिषेक 12 वर्षों में एक बार मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है, जहाँ प्रतिमा को दूध, केसर, घी और दही से स्नान कराया जाता है। जिस दौरान बड़ी संख्या में जैन अनुयायीयों और पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है।

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पलिताना मंदिर, गुजरात

यह मंदिर गुजरात के भावनगर डिस्ट्रिक्ट के शत्रुंजय पर्वत में स्थित है। सबसे पवित्र जैन परिसरों में से एक माने जाने वाले, पलिताना में 3,000 से भी अधिक मंदिर हैं जो बहुत खूबसूरती से तराशे गए हैं। 11वीं सदी से बनने शुरू हुए इस मंदिर को समाप्त होने में कई पीढ़ियां लगीं, और जैन धर्म में यह एक प्रतिष्ठित तीर्थ स्थल है। इस मंदिर में 3,800 से भी अधिक सीढ़ियां हैं, जिनको चढ़ना कठिन है, लेकिन इनकी वजह से यहां हर साल आने वाले हज़ारों श्रद्धालुयों की संख्या में कोई कमी नहीं आती।

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मीरपुर जैन मंदिर, राजस्थान

राजस्थान के सिरोही जिले के मीरपुर में स्थित मीरपुर जैन मंदिर की खूबसूरती के चर्चे दूर-दूर तक हैं। मार्बल से बना यह सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर 1100 साल पुराना है। यह मदिंर भी भगवान पार्श्वनाथ जी को समर्पित है। इस मंदिर की खूबसूरती का अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि इसका उल्लेख वर्ल्ड एंड इनसाइक्लोपीडिया ऑफ आर्ट में भी किया गया है।

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द्रोणगिरी, मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम सेंघपा में स्थित श्री दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी भारत के प्रमुख जैन तीर्थों में माना जाता हैं। इस सिद्ध क्षेत्र का महत्व इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया। इसे लघु सम्मेद शिखर भी कहा जाता है। यहां पहाड़ पर 35 मंदिर एंव 3 गुफाऐं है। पहाड़ की तलहटी में पास-पास 3 मंदिर बने हैं। मंदिरों के साथ-साथ तलहटी पर चौबीसी मंदिर, गणेष वर्णी स्वाध्याय मंदिर तथा जैन तीर्थ प्रबन्धन प्रशिक्षण संस्थान भी बने हैं। तलहटी से पर्वत पर जाने के लिए 232 सीढ़ियां बनी हैं। पर्वत स्थित सभी मंदिरों में क्रम संख्या लगाई गई है। यह क्षेत्र नदी किनारे होने से हिल स्टेशन जैसा दृश्य उपस्थित करता है। द्रोणगिरी दमोह से 103 किमी है। प्रमुख स्थानों छतरपुर से 50, झांसी से 202, सागर से 110, कुण्डलपुर से 147 किमी है।

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पुलियारमाला जैन मंदिर, केरल

केरल के वायनाड जिले में स्थित पुलियारमाला जैन मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय जैन मंदिरों में से एक है, जो जैन अनुयायीयों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में कार्य करता है। पुलियारमाला जैन मंदिर अनंतनाथ स्वामी को समर्पित है जो एक तीर्थंकर थे और इसीलिए इस मंदिर को “अनंतनाथ स्वामी मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। पुलियारमाला जैन मंदिर केरल के सबसे पुराने जैन मंदिरों में से एक है, जिसे 13 वीं शताब्दी में बनाया गया था। और इसमें जैन वास्तुकला की महारत को दर्शाया गया है, मंदिर के दरवाजों और स्तूप पर सुंदर नक्काशी की गई है, जबकि मंदिर का आंतरिक भाग शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से अंकित है।

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सोनगिरी मंदिर, मध्यप्रदेश

ग्वालियर और झांसी के बीच में स्थित सोनगिरी मंदिर देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर है। सोनगिरी मंदिर को ‘द गोल्डन पीक’ भी कहा जाता है। है। इस मंदिर के पास की पहाड़ियों पर 77 छोटे-छोटे जैन मंदिर हैं। जैन अनुयायियों के लिए सोनगिरी मंदिर प्राथमिक तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यही वह जगह थी, जहां पंद्रह लाख अनुयायियों ने एक साथ मोक्ष प्राप्त किया गया था। इस मंदिर में भगवान चंद्रप्रभु की 11 फीट ऊंची प्रतिमा है।

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