
भारत एक ऐसा देश है जहां धर्म, परंपरा और वास्तुकला एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। यहां हजारों मंदिर हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो विशेष रूप से सूर्य देवता को समर्पित हैं। हिंदू धर्म में सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक माना गया है। इसी कारण प्राचीन काल से ही सूर्य की उपासना हमारे धार्मिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। देशभर में फैले ये सूर्य मंदिर सिर्फ पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि ये हमारे इतिहास, विज्ञान और कलात्मक प्रतिभा के जीवंत प्रमाण हैं।
इन मंदिरों की स्थापत्य कला, उनकी ज्योतिषीय योजना और मूर्तिकला इतनी अद्भुत है कि हर पत्थर में एक कहानी छिपी है। कुछ मंदिर आज भी अपनी पूरी शान में खड़े हैं, जबकि कुछ खंडहर बन चुके हैं, लेकिन उनका महत्व और भव्यता अब भी वैसी ही महसूस होती है। आइए जानते हैं भारत के उन प्रमुख सूर्य मंदिरों के बारे में, जिनमें इतिहास और रहस्य दोनों का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
1. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
ओडिशा के पुरी जिले में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंहदेव ने इस अद्भुत मंदिर का निर्माण कराया था। इसकी संरचना सूर्य देव के रथ के रूप में की गई है, जिसमें 12 विशाल पहिए और 7 घोड़े हैं। मंदिर की हर दीवार और स्तंभ पर की गई नक्काशी इतनी सूक्ष्म है कि वे जीवंत प्रतीत होती हैं।
यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। इसकी वास्तु संरचना इस तरह बनाई गई थी कि सूरज की पहली किरण सीधे गर्भगृह तक पहुंचती थी। भले ही अब गर्भगृह नष्ट हो चुका है, पर इसकी कलात्मक भव्यता आज भी लोगों को विस्मित कर देती है।
2. मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात
गुजरात के पाटन जिले में स्थित मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने करवाया था। यह मंदिर विज्ञान और वास्तुकला के समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है। साल में दो बार — विषुव के समय — सूर्य की किरणें सीधे गर्भगृह में स्थित सूर्य देव की मूर्ति पर पड़ती हैं।
मंदिर परिसर तीन मुख्य भागों में बंटा है — गर्भगृह, सभा मंडप और सूर्य कुंड। सूर्य कुंड के चारों ओर 108 छोटे-छोटे मंदिर बने हैं। दीवारों पर देवी-देवताओं, ऋषियों और जीवन के विविध पहलुओं को दर्शाने वाली बारीक नक्काशी देखने योग्य है। यह मंदिर आज भी अपनी ज्योतिषीय सटीकता और कलात्मक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।
3. मार्तंड सूर्य मंदिर, जम्मू-कश्मीर
कश्मीर के अनंतनाग जिले की हरी-भरी घाटियों में स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में राजा ललितादित्य मुक्टापीड ने करवाया था। ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर प्राचीन कश्मीर की स्थापत्य कला का भव्य उदाहरण है।
हालांकि अब यह खंडहर बन चुका है, पर इसके विशाल स्तंभ, ऊंची मेहराबें और मजबूत दीवारें इसके गौरवशाली अतीत की गवाही देती हैं। यहां से चारों ओर के पर्वतों का नजारा मन मोह लेता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। इसकी खूबसूरती के कारण यहां कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी की गई है।
4. कटारमल सूर्य मंदिर, उत्तराखंड
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले की पहाड़ियों में बसा कटारमल सूर्य मंदिर 9वीं शताब्दी में कत्यूरी वंश के राजा कटारमल द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर समुद्र तल से करीब 2,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां तक पहुंचना स्वयं में एक रोमांचक अनुभव है।
मंदिर परिसर में सूर्य देव के साथ 44 छोटे मंदिर भी हैं। इसकी खासियत है बारीक पत्थर की नक्काशी और शांत वातावरण, जो साधक को गहरे आध्यात्मिक अनुभव से भर देता है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इस मंदिर से दिखने वाला दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।
5. सूर्य मंदिर, ग्वालियर
ग्वालियर का सूर्य मंदिर अपेक्षाकृत आधुनिक है, जिसका निर्माण 1988 में उद्योगपति गोपालदास नीरज ने कराया था। यह मंदिर कोणार्क सूर्य मंदिर की स्थापत्य शैली से प्रेरित है और नागर शैली की झलक प्रस्तुत करता है।
मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मनमोहक मूर्तियां अंकित हैं। शहर के मध्य स्थित होने के बावजूद यहां एक शांति और श्रद्धा का वातावरण महसूस होता है। यह मंदिर आध्यात्मिकता के साथ आधुनिक कला का संतुलित उदाहरण है।














