मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में मिलता हैं ऊपरी सायों से छुटकारा, करें बाल हनुमान के दर्शन, जानें यहां के रहस्य
By: Priyanka Maheshwari Sat, 09 Mar 2024 11:57:53
21वीं सदी जारी हैं और आज भी भूत-प्रेत को लेकर उनके अस्तित्व की सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता हैं। देशभर में की ऐसे मंदिर हैं जहां भूत-प्रेत या ऊपरी सायों से छुटकारा दिलाया जाता हैं। ऐसा ही एक मंदिर हैं राजस्थान के दौसा जिले में बना मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जो भक्तों की आस्था का केंद्र है। विज्ञान भूत-प्रेतों को नहीं मानता है लेकिन यहां हर दिन दूर-दराज से ऊपरी चक्कर और प्रेत बाधा से परेशान लोग मुक्ति के लिए आते हैं। मान्यता के अनुसार जिस किसी के ऊपर कोई नकारात्मक साया होता है, उनकी पेशी यानि उनके ऊपरी साये को दूर करने के लिए कीर्तन आदि यहां किया जाता है। यहां शनिवार और मंगलवार को भक्तों का मेला लगता हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर को हनुमान जी के 10 सिद्धपीठों में से एक माना जाता है। जो लोग भूतप्रेत पर विश्वास करते हैं, वो बालाजी ज्यादा आते हैं। यहां आपको कई विचित्र नजारे देखने को मिल जाएंगे, जिनहें पहली बार देखकर लोग हैरत में पड़ जाते हैं और डर भी जाते हैं। यही वजह है कि साल 2013 में जर्मनी, निदरलैंड्स, एम्स और दिल्ली यूनिवर्सिटी के जानकार यहां रिसर्च के लिए भी आए थे। इस मंदिर में सिर्फ हनुमान जी ही विराज नहीं हैं। यहां पर प्रेतराज और कप्तान यानी भैरो भगवान भी यहां विराजते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको मेहंदीपुर बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातों की जानकारी देने जा रहे हैं। आइये जानते हैं...
2 बजे लगता है दरबार
भूत प्रेतादि ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए यहां आने वालों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा यानी की कोतवाल कप्तान की मूर्ति है। हर दिन 2 बजे प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी यानी की कीर्तन होता है, जिसमें लोगों पर आए ऊपरी सायों को दूर किया जाता है।
बायीं छाती में है छेद
मेहंदीपुर बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छेद है जिससे लगातार जल बहता रहता है। कहते हैं यह बालाजी का पसीना है। यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का प्रसाद चढ़ता है। बताया जाता है कि जिनके अंदर भूत-प्रेत आदि शक्तियां होती हैं, वह यह प्रसाद खाते ही अजब-गजब हरकतें करने लगते हैं।
महंत को सपने में दिखे भगवान
इस मंदिर को लेकर ये माना जाता है कि मंदिर के पुराने महंत को एक दिन सपना आया। सपने में उसने तीन देवताओं को देखा था। महंत ने इसे बालाजी के मंदिर निर्माण का संकेत माना। उसके बाद इस जगह पर भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई। फिर मंदिर में तीनों देवता बालाजी महाराज, श्री प्रेतराज सरकार और श्री कोतवाल को स्थापित करवाया गया।
मंदिर की अलग तरह की बनावट
कहा जाता है कि ये मंदिर आम मंदिरों से बिल्कुल अलग है। यहां मंदिर की घंटी की जगह लोगों की चीख-पुकार सुनाई देती है। मंदिर की बनावट अपने आप में अलग है। यहां चार हॉल बने हुए हैं। पहले दो में हनुमान जी और भैरव जी की मूर्ति है। जबकि आखिरी हॉल में बहुत सारी महिलाएं और पुरुष होते हैं, जिन पर भूतों का साया होता है।
भक्त करते हैं यह नियम पालन
मेहंदीपुर बालाजी की मूर्ती के ठीक सामने भगवान राम-सीता की मूर्ती है, जिसके वह हमेशा दर्शन करते रहते हैं। यहां हनुमानजी बाल रूप में मौजूद है। यहां आने वाले सभी यात्रियों के लिए नियम है कि उन्हें कम से कम एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, अण्डा, मांस, शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए।
प्रसाद नहीं ले जा सकते घर
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के किसी भी तरह के प्रसाद को आप खा नहीं सकते और ना ही किसी को दे सकते हैं। यहां के प्रसाद को आप घर पर भी नहीं लेकर जा सकते। यहां तक की कोई भी खाने-पीने की चीज और सुंगधित चीज आप यहां से घर नहीं लेकर जा सकते। बताया जाता है ऐसा करने पर ऊपरी साया आपके ऊपर आ जाती है।
2 कैटेगरी का होता है प्रसाद
मेहंदीपुर बालाजी में बाकी मंदिरों से अलग प्रसाद चढ़ता है। यहां प्रसाद की 2 कैटेगरी है, एक दर्खावस्त और दूसरी अर्जी। दर्खावस्त को बालाजी में हाजरी भी बोलते हैं। हाजरी के प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है और अर्जी में 3 थालियों में प्रसाद मिलता है। मंदिर में दर्खावस्त एकबार लगाने के बाद, वहां से तुरंत निकल जाना होता है। अर्जी का प्रसाद लौटते समय लेते हैं जिन्हें अपने पीछे फेंकना होता है। नियम है कि प्रसाद फेंकते समय पीछे नहीं देखना चाहिए।
कैसे पहुंचें मंदिर
इस मंदिर तक आना कठिन बिलकुल नहीं है। अगर आप यहां रेल से आना चाहते हैं तो दौसा हर जगह से रेल से अच्छे से जुड़ा हुआ है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के लिए सबसे करीबी स्टेशन दौसा ही है। वहीं हवाई यात्रा करनी है तो यहां से नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर है, जो यहां से सिर्फ 33 किलोमीटर दूर है। जिसको तय करने के लिए कैब आसानी से मिल जाती हैं। जबकि आगरा एयरपोर्ट भी यहां से बहुत दूर नहीं है। 133 किलोमीटर दूर आगरा के खेरिया एयरपोर्ट से भी अपनी यात्रा की जा सकती है। इसके अलावा अगर आप सड़क के रास्ते यहां आना चाहें तो जयपुर के रास्ते आपको यहां आना होगा। ये शहर यहां से 55 किलोमीटर दूर है। राजस्थान स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें भी आपको यहां तक आराम से पहुंचा देंगी। आगरा और दिल्ली से भी यहां से लिए नियमित बसें चलती रहती हैं।