
लंकापति रावण का वध (Ravan death) करने के बाद प्रभु श्रीराम माता सीता के साथ अयोध्या लौट आते हैं। इसके बाद रामायण का मुख्य युद्ध अध्याय समाप्त हो जाता है और कहानी में मंदोदरी (Mandodari) का जिक्र बहुत कम रह जाता है। शायद ही कई लोग जानते हों कि रावण की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ। दशहरे (Dussehra 2025) के अवसर पर जानिए कौन थीं मंदोदरी और रावण के बाद उनका विभीषण से विवाह क्यों हुआ। राम के हाथों रावण के वध के बाद, मंदोदरी का विवाह रावण के छोटे भाई विभीषण से हुआ था। हालांकि, रामायण में उनके जीवन का विस्तार से वर्णन नहीं है। मंदोदरी के व्यक्तित्व और उनके जीवन की पौराणिक कथाएं विभिन्न ग्रंथों और लोककथाओं में मिलती हैं।
मधुरा नाम की अप्सरा का श्राप
पुराणों के अनुसार, मधुरा नामक एक अप्सरा भगवान शिव की भक्ति में कैलाश पर्वत गई थी। माता पार्वती की अनुपस्थिति में मधुरा ने शिव की भक्ति में लीन होकर उनका प्रसन्नता अर्जित की। जब पार्वती वहाँ पहुँची, तो उन्होंने मधुरा के शरीर पर शिव की भस्म देखी और क्रोधित होकर उसे 12 साल तक मेंढक बने रहने का श्राप दे दिया। बाद में शिव ने पार्वती से आग्रह किया कि वे श्राप वापस लें, लेकिन पार्वती केवल यह कह सकीं कि 12 साल के बाद मधुरा अपने मूल रूप में लौट आएंगी।
असुरराज मायासुर और हेमा
असुरराज मायासुर और उनकी पत्नी हेमा अपनी संतान के लिए तपस्या कर रहे थे। उनके दो पुत्र, मायावी और दुन्दुभी थे। एक दिन उन्होंने कुएँ से मेंढक के रोने की आवाज सुनी और मधुरा की कहानी जानकर उसे अपनाने का निर्णय लिया। जब रावण ने पहली बार मंदोदरी को देखा, तो उसने उनके पिता असुरराज को विवाह के लिए प्रस्ताव भेजा। असुरराज ने अहंकार में इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिससे राज्य में युद्ध की स्थिति पैदा हो गई। मंदोदरी ने समझा कि रावण शक्ति में अत्यंत प्रबल हैं, इसलिए उन्होंने रावण के साथ विवाह स्वीकार कर लिया।
सीता के अपहरण पर मंदोदरी का विरोध
सीता का अपहरण करने पर मंदोदरी ने रावण का विरोध किया। उन्होंने बार-बार रावण को समझाने की कोशिश की कि राम की पत्नी का अपहरण लंकेशपति की शान के अनुकूल नहीं है। लेकिन रावण अपने अहंकार और प्रतिशोध में अंधा था और उसने मंदोदरी की एक नहीं सुनी।
रावण के वध के बाद का जीवन
राम और रावण के युद्ध के बाद, प्रभु श्रीराम ने विभीषण को लंका का नया राजा बनाने की सलाह दी और मंदोदरी से विवाह का प्रस्ताव दिया। शुरू में मंदोदरी ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया और राज्य से अलग हो गईं। कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया और लंका में उनका जीवन पुनः स्थापित हुआ।
मंदोदरी की यह कथा हमें केवल रावण की पत्नी के रूप में ही नहीं बल्कि एक बुद्धिमान और धर्मपरायण महिला के रूप में भी दर्शाती है, जिन्होंने लंका के पतन और रामायण के युद्ध के बाद भी अपने कर्तव्यों और समाज के प्रति निष्ठा बनाए रखी।














