गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थी देवी अहिल्या, प्रभु श्रीराम ने इस जगह दिलाई थी मुक्ति, रामनवमी पर लगता है भव्य मेला

By: Anuj Wed, 31 July 2024 12:04:35

गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थी देवी अहिल्या, प्रभु श्रीराम ने इस जगह दिलाई थी मुक्ति, रामनवमी पर लगता है भव्य मेला

बिहार के मिथिलांचल की भूमि अपने पौराणिक महत्व को लेकर पूज्य है। मिथिला की हृदयस्थली दरभंगा से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर जाले प्रखंड स्थित अहिल्या स्थान की माटी में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम रचे-बसे हैं। यहीं प्रभु श्री राम ने शापित अहिल्या का उद्धार किया था। अहिल्या स्थान और पास में स्थित गौतम सप्तकुंड श्री राम की महानता के प्रतीक हैं। इस मंदिर में पहुंचने के साथ-साथ मन बोल उठता है कि प्रभु श्रीराम ने जिस तरह सामाजिक आदर्शों को स्थापित किया और देवी अहल्या का उद्धार किया वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। रामायण में गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या का जिक्र है। देवी अहिल्या गौतम ऋषि के श्राप से पत्थर बन गई थीं। जिनका भगवान राम ने उद्धार किया था। इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां महिला पुजारी पूजा-अर्चना कराती हैं।

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इतिहास

गौतम ऋषि के श्राप से शिला बनी देवी अहिल्या का त्रेता युग में श्रीराम ने उद्धार किया था। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम जब अवधपुरी से जनकपुर जा रहे थे तो शिला बनी अहिल्या को चरण से स्पर्श किया और तत्काल ही वह जीवित मानव स्वरूप में आ गईं थीं । तब से यह स्थान गौतम ऋषि की पत्नी देवी अहिल्या के उद्धार स्थल के रूप में प्रसिद्ध और पूजित है।

अहिल्या-गौतम महोत्सव

विवाह पंचमी, रामनवमी आदि अवसरों पर अहिल्या स्थान और गौतम कुंड में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। पौराणिक महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है। यहां हर वर्ष अहिल्या-गौतम महोत्सव आयोजित होता है।

एक प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल

अहिल्या स्थान अब दरभंगा जिले का एक प्रमुख पर्यटक और तीर्थ स्थल है। यहां रामनवमी और विवाह पंचमी के दिन काफी भीड़ रहती है। रामनवमी के दिन यहां वे लोग भ आते हैं जिनके शरीर पर अहिला (एक तरह का मस्सा) होता है। कहा जाता है कि रामनवमी के दिन यहां स्थित कुंड या तालाब में स्नान कर कंधे पर बैंगन का भार ले जाकर मंदिर में चढ़ाने से अहिला रोग से मुक्ति मिलती है।

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रामनवमी पर लगता भव्य मेला

रामनवमी के अवसर पर देश व नेपाल के विभिन्न हिस्सों से काफी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। भव्य मेले का आयोजन होता है। रामनवमी के दिन यहां अनोखी परंपरा देखी जाती है। उस तिथि को श्रद्धालु अपने कंधे पर बैगन का भार लादकर पहुंचते हैं और श्रीराम व देवी अहिल्या को अर्पण करते हैं। मान्यता है कि है कि ऐसा करने से व्याधियों से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर में महिला पुरोहित भी आपको पूजा करवातीं मिल जाएंगी।

अहियारी गांव में बना है भव्य मंदिर

बिहार के दरभंगा जिला अंतर्गत जाले प्रखंड स्थित अहियारी गांव में अहिल्या स्थान है। यहां भव्य मंदिर है। यह स्थान कमतौल रेलवे स्टेशन के पास है। सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी से इसकी दूरी 40 किमी है। वहीं, अहिल्या स्थान से तीन किमी की दूरी पर जाले की ब्रह्मपुर पश्चिमी पंचायत में गौतम कुंड अवस्थित है।

श्री राम मंदिर के निर्माण से यहां भी जगी उम्मीद

अहियारी उत्तरी पंचायत के मुखिया सूर्यनारायण शर्मा बताते हैं कि श्रीराम मंदिर बनने से क्षेत्र में काफी खुशी है। यहां के लोगों का प्रभु श्रीराम से गहरा लगाव है। वर्षों से इस दिन का इंतजार था। अब आशा जगी है कि इस भूमि का भी विकास और तेजी से होगा। मंदिर के प्रधान पुजारी हरिनारायण ठाकुर भी कहते हैं कि जब प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर मंदिर की आधारशिला रखी गई तो हमने यहां भी मंदिर में दीप जलाए। हमारा विश्वास है कि इस मंदिर का भी विकास होगा।

नजदीकी दर्शनीय स्थल

अहिल्या स्थान से आप दरभंगा, कुशेश्वरस्थान, सीतामढ़ी, पुनौराधाम, मधुबनी और जनकपुर नेपाल भी जा सकते हैं।

कैसे पहुंचे

दरभंगा देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल, बस और वायु सेवा से जुड़ा हुआ है। दरभंगा से दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु पुणे, हैदराबाद और अहमदाबाद के लिए नियमित उड़ान है। दरभंगा से आप ट्रेन से कमतौल फिर वहां से रिक्शा-ऑटो से अहिल्या स्थान जा सकते हैं। यह जगह दरभंगा से सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

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