
श्रावण मास में आने वाला पर्व नाग पंचमी, ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष है बल्कि यह अध्यात्म की गहराइयों में भी डुबकी लगाने का अवसर देता है। भगवान शिव, जिन्हें 'पशुपति नाथ' भी कहा जाता है, अपने गले में नागराज को आभूषण के रूप में धारण करते हैं। नाग देवता को शक्ति, सुरक्षा और रहस्य का प्रतीक माना गया है। पौराणिक कथाओं में उनकी पूजा से संबंधित अनेक घटनाएं और मान्यताएं वर्णित हैं।
हर साल इस दिन भक्त शिवालयों में उमड़ते हैं, पर क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे भी स्थान हैं, जहां नाग देवता के विशेष मंदिर स्थित हैं? ये मंदिर न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनकी प्राकृतिक सुंदरता भी मन मोह लेती है। आइए चलते हैं भारत के उन 5 खास नाग मंदिरों की ओर, जहां जाना अपने आप में एक दिव्य अनुभव है।
1. मन्नारशाला श्री नागराज मंदिर – हरिपद, केरल
केरल के अलाप्पुझा ज़िले के हरिपद कस्बे में स्थित मन्नारशाला श्री नागराज मंदिर भारत का सबसे बड़ा और पवित्र नाग मंदिर माना जाता है। यह मंदिर हजारों नागों की मूर्तियों और कलाकृतियों से सजा हुआ है, जो इसे अत्यंत रहस्यमयी और आकर्षक बनाता है। मंदिर घने जंगलों और हरियाली से घिरा हुआ है, जिससे यहां आने वाले भक्तों को एक दिव्य और शांत वातावरण की अनुभूति होती है।
मन्नारशाला मंदिर की खास बात यह है कि यहां महिला पुजारी (वलियम्मा) द्वारा पूजा की जाती है, जो दक्षिण भारत में बहुत कम देखने को मिलता है। कहा जाता है कि जो दंपत्ति संतान की प्राप्ति की कामना लेकर यहां सच्चे मन से पूजा करते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। नाग पंचमी और आयप्पा पूजा जैसे त्योहारों के समय यहां विशेष पूजा-अनुष्ठान होते हैं और दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
मॉनसून के दौरान यह मंदिर और भी सुंदर हो उठता है क्योंकि पूरी जगह हरियाली से ढक जाती है, जो ध्यान और आध्यात्मिकता को बढ़ाने में मदद करती है।
2. कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर – कर्नाटक
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ ज़िले में स्थित कुक्के सुब्रमण्यम मंदिर, भगवान सुब्रमण्यम (कार्तिकेय) को समर्पित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। उन्हें नागों के अधिपति और रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर पश्चिमी घाटों की खूबसूरत वादियों, घने जंगलों और कुमारधारा नदी के तट पर बसा हुआ है, जो इसे आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य से भर देता है।
यहां आने वाले श्रद्धालु मुख्यतः सर्प दोष निवारण पूजा (सर्पसंस्कार और अश्लेषा बली) करवाने आते हैं, जिनकी मान्यता है कि ये पूजा जीवन में आ रही रुकावटों और संतान से जुड़ी समस्याओं को दूर करती है। मंदिर का शांत वातावरण और हरियाली से घिरा परिसर ध्यान और साधना के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है।
मॉनसून के मौसम में, जब नदी उफान पर होती है और पूरी घाटी कोहरा व हरियाली से ढक जाती है, तो यह स्थान किसी स्वर्गिक धाम जैसा प्रतीत होता है।
3. नागचंद्रेश्वर मंदिर – उज्जैन, मध्य प्रदेश
उज्जैन की पवित्र नगरी, जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए जानी जाती है, वहीं स्थित है एक अत्यंत रहस्यमय और खास मंदिर – नागचंद्रेश्वर मंदिर। यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण देशभर के भक्तों के आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि यह साल में केवल एक बार, नाग पंचमी के दिन ही आम श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है।
यह मंदिर महाकाल मंदिर परिसर की तीसरी मंजिल पर स्थित है और यहाँ भगवान शिव को उनके कंठ में लिपटे नागराज वासुकी के साथ पूजित किया जाता है। मंदिर की मूर्ति में शिवजी को सर्प के सहारे विराजमान दिखाया गया है, जो इस मंदिर को और भी अद्वितीय बनाती है।
मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर के दर्शन मात्र से सर्प दोष, कालसर्प दोष, और अन्य ग्रहदोषों से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी के दिन यहाँ भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं और यह स्थान एक दिव्य ऊर्जा से भर जाता है।
यह मंदिर श्रद्धा, रहस्य और ज्योतिषीय विश्वासों का अद्भुत संगम है, जिसे हर शिवभक्त और ज्योतिष में रुचि रखने वाले व्यक्ति को जीवन में एक बार अवश्य देखना चाहिए।
4. नाग वासुकी मंदिर – प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
प्रयागराज, जिसे संगम की भूमि और तीर्थराज कहा जाता है, वहीं गंगा के तट पर स्थित है एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंदिर – नाग वासुकी मंदिर। यह मंदिर वासुकी नाग देवता को समर्पित है और खासतौर पर उन श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है जो कालसर्प दोष से पीड़ित होते हैं।
मंदिर का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है और श्रावण मास या नाग पंचमी के अवसर पर यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसा विश्वास है कि यहाँ विधिपूर्वक पूजा करने से ग्रह दोषों, विशेषकर सर्पदोष, से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहाँ पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धालु निकटवर्ती त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपने पापों से मुक्त होने का पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
नाग वासुकी मंदिर श्रद्धा, आस्था और ज्योतिषीय उपचार का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र है, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और जीवन में नई सकारात्मकता का अनुभव कराता है।
5. पटनीटॉप नाग मंदिर – जम्मू-कश्मीर
अगर आप हिमालय की गोद में बसे किसी शांत और आध्यात्मिक स्थान की तलाश में हैं, तो पटनीटॉप की हरी-भरी वादियों में स्थित यह लगभग 600 वर्ष पुराना नाग मंदिर एक आदर्श गंतव्य हो सकता है। जम्मू-कश्मीर के इस प्रसिद्ध हिल स्टेशन पर बसे इस मंदिर में हर वर्ष नागपंचमी और श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना और भव्य धार्मिक आयोजन होते हैं।
यह मंदिर प्रकृति और आस्था का सुंदर संगम है। ऊँचे देवदार और चीड़ के वृक्षों के बीच बसा यह स्थल न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि यहां का शांत वातावरण, ठंडी हवा और सुरम्य दृश्य मन, तन और आत्मा को गहराई से छू लेते हैं।
माना जाता है कि यहां पूजा करने से नागदोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति और समृद्धि आती है। स्थानीय लोग इस मंदिर को सदियों से आस्था और श्रद्धा का प्रतीक मानते आए हैं।
पटनीटॉप नाग मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ प्रकृति की गोद में बैठकर भगवान नागदेवता की उपासना करने का अनुभव अद्वितीय और अत्यंत शांति देने वाला होता है।














