मधुमेह रोगियों को दवाई से ज्यादा फायदा पहुंचाएंगे ये 5 योगासन, दिनचर्या में करें शामिल

By: Pinki Thu, 02 Nov 2023 8:35:08

मधुमेह रोगियों को दवाई से ज्यादा फायदा पहुंचाएंगे ये 5 योगासन, दिनचर्या में करें शामिल

वर्तमान समय में मधुमेह अर्थात डायबिटीज एक ऐसी समस्या बन चुकी है जिसका एक ना एक रोगी तो हर घर में मिल ही जाएगा। पहले के समय में जहां यह समस्या एक उम्र के बाद सामने आती थी वहीँ अब यह युवओंके साथ-साथ बच्चों में भी देखने को मिल रही हैं। दवाईयों व इंसुलिन के सेवन से इस पर नियंत्रण पाया जाता हैं। लेकिन योगासन की मदद से आप अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित कर सकते हैं और इस बीमारी से बचाव भी। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो दवाई से ज्यादा फायदा पहुंचाएंगे एंवं आपको फिर एंड फाइन बनाएंगे। तो आइये जानते हैं इन योगासन के बारे में...

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अनुलोम विलोम

अगर आप अपनी शुगर की प्रॉब्लम को जड़ से दूर करना चाहते हैं तो आपको अनुलोम विलोग का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। यह हार्मोनल असंतुलन को बैलेंस करने में मदद करता है। जिसके कारण नियमित रूप से इसके अभ्यास से डायबिटीज से निजात मिलती है। साथ ही बॉडी में शुगर लेवल भी मेंटेन होता है।

अनुलोम विलोम करने का तरीका
- सबसे पहले जमीन पर मैट बिछाकर ध्यान की मुद्रा में बैठ जाएं।
- अब, अपनी आंखों को बंद करें और रिलैक्स करें।
- इसके बाद, अपने दाएं हाथ के अंगूठे को दाईं नासिका छिद्र पर रखकर बंद करें और बाईं नासिका से सांस लें।
- अब रिंग फिंगर से बाईं नासिका छिद्र को बंद करें और अगर संभव हो तो कुछ सेकंड के लिए रूकें। यह कुम्भक है।
- अब दाएं हाथ के अंगूठे को हटाएं और सांस छोडें।
- इसके बाद, दाईं नासिका से गहरी सांस लें।
- अब, दोबारा कुम्भक करें और फिरर बाईं नासिका से सांस छोड़ें।
- आपका एक चरण पूरा हुआ।
- इसी तरह आप अपनी क्षमतानुसार अनुलोम-विलेम का अभ्यास करें।

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अर्धमत्स्येन्द्रासन

यह भी पेनक्रियाज के सेल्स को एक्टिव करता है। इसलिए मधुमेह के रोगियों को इसका अभ्यास करने की सलाह दी जाती है।

अर्धमत्स्येन्द्रासन करने का तरीका
- सबसे पहले पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं।
- अब आप बाएं पैर को मोड़ें और बाएं पैर की एड़ी को दाहिने कूल्हे के पास रखें।
- वहीं, दाहिने पैर को बाएं घुटने के ऊपर से सामने रखें।
- इसके बाद, आप बाएं हाथ को दाहिने घुटने पर रखें और दाहिना हाथ पीछे रखें।
- ध्यान रखें कि इस दौरान आपकी कमर एकदम सीधी हो।
- अब कमर व गर्दन को दाहिनी तरफ से मोड़ते हुए दाहिने कंधे के ऊपर से देखने का प्रयास करें।
- कुछ क्षण इसी अवस्था में रूके रहें।
- अब वापिस प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं।
- आप दूसरी साइड से भी इसी आसन का अभ्यास करें।

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बालासन

बालासन को आमतौर पर तनाव दूर करने के लिए जाना जाता है, लेकिन वास्तव में यह मधुमेह रोगियों को भी बेहद लाभ पहुंचाता है।

बालासन करने का तरीका
- सबसे पहले मैट बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं।
- अब दोनों हाथों को सीधा करें और आगे की ले जाएं।
- अब आप धीरे-धीरे जितना हो सके, सिर को नीचे की ओर झुकाएं।
- इस दौरान आपकी हथेलियां जमीन पर रखें।
- कुछ देर इसी पोजिशन में रूकें।
- इसके बाद वापिस वज्रासन में आ जाएं।
- आप अपनी क्षमतानुसार इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं।
- अगर कोई व्यक्ति शुगर के साथ-साथ हाई बीपी की समस्या से भी ग्रस्त है तो उसे इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- वहीं, घुटनों की समस्या होने पर भी बालासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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कपालभांति

मधुमेह रोगियों के लिए कपालभांति कई मायनों में लाभदायक है। यह ना केवल ब्लड की सप्लाई को बढ़ाता है। बल्कि हीट लेवल मेंटेन करता है। साथ ही साथ इंसुलिन की प्रोडक्शन बढ़ाता है, जिससे मधुमेह रोगियों को फायदा मिलता है।

कपालभांति करने का तरीका
- सबसे पहले आप मैट पर ध्यान की मुद्रा में बैठें।
- अब आंखें बंद करें और शरीर को हल्का ढीला छोड़ें।
- अब आप सांस अंदर ले और फिर उसे बाहर छोड़ें।
- इस दौरान खुद के साथ कोई जबरदस्ती ना करें।
- शुरूआत में अपनी क्षमतानुसार कपालभांति करें।
- अगर आप थक जाएं तो रूक जाएं और गहरी सांस लें।
- इसके बाद आप दोबारा कपालभांति का अभ्यास करें।

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मंडूकासन

मंडूकासन में शरीर की आकृति मेंढक के समान नजर आती है। इसलिए इसे मंडूकासन कहा जाता है। चूंकि यह आसन पेट पर दबाव डालता है और पेनक्रियाज के लिए बहुत ही अच्छा है। अगर कोई व्यक्ति मधुमेह पीडित है तो उसे नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।

मंडूकासन करने का तरीका
- इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले मैट पर वज्रासन में बैठ जाएं।
- अब अपने दोनों हाथों से मुट्ठी बना लें जिसमें आपके अंगूठे मुठ्ठी के अंदर हों।
- इस मुठ्ठी को नाभि के बीच में रखें।
- इसके बाद, एक लम्बी सांस अंदर की ओर लें।
- फिर धीरे से सांस छोड़ते समय आगे की ओर झुकें।
- इस दौरान आपको नाभि की ओर अधिक प्रेशर लगाना होगा।
- कुछ क्षण इसी अवस्था में रूकें व श्वास को सामान्य रखें।
- अब एक गहरी सांस लें और वापिस वज्रासन में आ जाएं।
- आप इस योगासन को अपनी क्षमतानुसार दोहरा सकते हैं।
- अगर आपको कमर या पेट से जुड़ी कोई स्वास्थ्य समस्या है तो इस आसन का अभ्यास करने से पहले एक बार एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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