
ऋषभ शेट्टी की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कांतारा: चैप्टर 1’ ने रिलीज़ होते ही बॉक्स ऑफिस पर अपनी गहरी पकड़ बनानी शुरू कर दी है। जहां फिल्म भारत में अपनी पौराणिक कथा, लोक संस्कृति और सिनेमाई प्रस्तुति के लिए सराही जा रही है, वहीं अब यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सफलता के झंडे गाड़ रही है। नॉर्थ अमेरिका में इस फिल्म ने अपने ओपनिंग वीकेंड में ही 2.6 मिलियन डॉलर (लगभग 22 करोड़ रुपये) का कारोबार कर लिया है, जो कि एक रीजनल बैकग्राउंड से आई फिल्म के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
‘कांतारा’ की यह कहानी उस अध्यात्म, संस्कृति और रहस्य की ओर दर्शकों को ले जाती है, जो भारतीय लोककथाओं में रचा-बसा है। ऋषभ शेट्टी ने इस बार भी न केवल निर्देशन और लेखन में गहराई दिखाई है, बल्कि मुख्य किरदार को निभाते हुए दर्शकों को एक बार फिर अपनी अदाकारी का कायल बना दिया है। पहले भाग की सफलता के बाद अब यह प्रीक्वल उसी लोकविश्वास, दैवीय शक्ति और आस्था के कथानक को और गहराई से छूता है, जिसकी वजह से दर्शकों की जिज्ञासा और जुड़ाव पहले से कहीं ज्यादा देखने को मिल रहा है।
फिल्म की नॉर्थ अमेरिका में यह सफलता इसलिए भी खास है क्योंकि यहां की ऑडियंस अब केवल हॉलीवुड या ग्लोबल सिनेमा तक ही सीमित नहीं रही। भारतीय डायस्पोरा के साथ-साथ विदेशी दर्शक भी अब भारतीय मिथकों, रीति-रिवाजों और लोककथाओं में दिलचस्पी लेने लगे हैं। ‘कांतारा: चैप्टर 1’ इस बदलते दर्शक वर्ग की पसंद का बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरी है।
फिल्म के म्यूजिक की बात करें तो अजनीश लोकनाथ की ध्वनि रचना एक बार फिर दर्शकों के दिल तक पहुंचती है। उनका बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के रहस्य, आध्यात्मिकता और कथा की लय को खूबसूरती से बांधता है। लोक वाद्य और परंपरागत रागों का समावेश, फिल्म को ना केवल एक श्रवण अनुभव बनाता है बल्कि भावनात्मक रूप से भी दर्शकों को भीतर तक झकझोर देता है।
इस फिल्म की सफलता के पीछे एक और बड़ा कारण है इसकी स्टारकास्ट। रुक्मिणी वसंथ फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और उन्होंने अपने किरदार को पूरी ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ निभाया है। उनके साथ जयराम, गुलशन देवैया और प्रमोद शेट्टी जैसे कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों में गहराई और सच्चाई भर दी है, जो फिल्म को और भी सशक्त बनाते हैं।
होम्बले फिल्म्स द्वारा निर्मित यह फिल्म न केवल दक्षिण भारतीय सिनेमा की गुणवत्ता को उजागर करती है, बल्कि भारतीय क्षेत्रीय फिल्मों के वैश्विक विस्तार का प्रतीक बनकर भी सामने आई है। इसी प्रोडक्शन हाउस ने ‘केजीएफ’ और ‘सालार’ जैसी फिल्में भी प्रस्तुत की हैं, और अब ‘कांतारा: चैप्टर 1’ उनके उस विज़न का हिस्सा है जिसमें भारतीय कहानियों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहुंचाने की महत्वाकांक्षा है।
फिल्म अब $3 मिलियन क्लब में शामिल होने के बिल्कुल करीब है और जानकारों की मानें तो कुछ ही दिनों में यह आंकड़ा भी पार कर लिया जाएगा। इसके साथ ही फिल्म की ओटीटी रिलीज़, डब्ड वर्ज़न और अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में भागीदारी की भी प्रबल संभावना जताई जा रही है।
वैश्विक स्तर पर यह फिल्म अब तक ₹300 करोड़ से अधिक का कारोबार कर चुकी है। यह सफलता केवल बॉक्स ऑफिस की नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जीत भी है — जहां एक पारंपरिक पृष्ठभूमि से निकली कहानी, वैश्विक दर्शकों के दिलों को छूने में सक्षम साबित हुई है।
दर्शकों ने इसे “आध्यात्मिक रूप से प्रभावशाली”, “दृश्यात्मक रूप से मंत्रमुग्ध करने वाली” और “लोकविश्वासों का सिनेमाई संगम” जैसी प्रतिक्रियाएं दी हैं। खासकर ऋषभ शेट्टी की निर्देशन क्षमता, गहराई से बुनी गई कथा और सिनेमैटोग्राफी को खूब सराहा गया है।
‘कांतारा: चैप्टर 1’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक अनुभव है—जिसे न केवल देखा, बल्कि महसूस किया जाता है। भारतीय सिनेमा के लिए यह एक गर्व का क्षण है, जो दिखाता है कि हमारी लोककथाएं और परंपराएं आज भी कितनी प्रासंगिक हैं, और वे वैश्विक मंच पर कितनी गूंज पैदा कर सकती हैं।














