
बॉलीवुड के दिग्गज स्टार धर्मेंद्र का 24 नवंबर को मुंबई स्थित अपने बंगले में शांतिपूर्वक निधन हो गया। इस दुखद खबर के बाद देओल परिवार गहरे शोक में डूबा हुआ है। परिवार ने बुधवार की सुबह हरिद्वार पहुंचकर दिवंगत अभिनेता की अस्थियों का विधिवत गंगा में विसर्जन किया। इस मौके पर सनी देओल, बॉबी देओल, अन्य परिजन और खासकर सनी के बेटे करण देओल, जिन्होंने अपने दादा की अस्थियां गंगा में प्रवाहित कीं, मौजूद थे।
विसर्जन समारोह के बाद परिवार कुछ समय के लिए होटल में रुका और फिर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा का कड़ा इंतज़ाम देखने को मिला। इससे पहले मंगलवार को देओल परिवार हरिद्वार पहुंचा था। सोशल मीडिया पर फैली एक वीडियो में सनी देओल को होटल की बालकनी में बैठकर चाय का आनंद लेते हुए भी देखा गया था।
फिर भड़के सनी देओल, पैपराजी को सुनाई खरी-खोटी
इस बीच एक और वीडियो ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। वीडियो में सनी देओल काफी नाराज़ दिखाई दे रहे हैं और पैपराजी को जमकर लताड़ते हुए नज़र आते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियो हर की पौड़ी क्षेत्र का बताया जा रहा है, जहां सनी गुस्से में पैपराजी के पास जाते हुए कहते हैं— “क्या आप लोगों ने शर्म बेच खाई है? पैसे चाहिए तुझे? कितने पैसे चाहिए तुझे?”
गुस्से में सनी देओल कैमरा छीनने की कोशिश भी करते दिखाई देते हैं। उनके इस व्यवहार ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है कि संवेदनशील मौकों पर मीडिया को कितनी मर्यादा रखनी चाहिए।
#SunnyDeol's fiery message to the paparazzi😡 A powerful moment that shows where his priorities lie🙏
— Mr Prabh Deol (@Movie_flix1) December 3, 2025
Have you guys sold your shame?
" पैसे चाहिए तेरे को कितने पैसे चाहिए "
Sunny's anger is totally justified, Some time celebrities just need to be human 😞
Respect the family… pic.twitter.com/q9mUZmVDIP
पहले भी जताई थी नाराज़गी
यह पहली बार नहीं है जब सनी देओल ने पैपराजी से नाराज़गी जताई हो। इससे पहले भी, जब धर्मेंद्र की तबीयत नाज़ुक थी और मीडिया उनके घर के बाहर लगातार मौजूद रहती थी, सनी ने कड़े शब्दों में उन्हें टोकते हुए कहा था— “आप लोगों को शर्म आनी चाहिए। आपके घर में माता-पिता नहीं हैं क्या? आपके बच्चे हैं… और यहां बस वीडियो बनाए जा रहे हो!”
सनी की इस डांट के बाद पैपराजी वहां से हट गए थे। उनका कहना था कि ऐसे संवेदनशील समय में परिवार की निजी भावनाओं और परिस्थितियों का सम्मान करना बेहद ज़रूरी है।














