आज 10 जून 2025 को साल का आखिरी और पांचवां बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज और वाराणसी जैसे शहरों में यह दिन भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को हनुमान भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन आखिरी मंगलवार को 'बड़ा मंगल' के रूप में एक विशेष स्थान प्राप्त है। इस दिन मंदिरों में विशेष सजावट होती है, भंडारे और कीर्तन आयोजित किए जाते हैं और लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन हेतु उमड़ते हैं।
बड़ा मंगल क्यों कहा जाता है?
इस दिन को 'बड़ा मंगल' या 'बुढ़वा मंगल' कहे जाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रमुख कथा के अनुसार, त्रेतायुग में ज्येष्ठ मास के पहले मंगलवार को ही भगवान राम और हनुमान जी की पहली भेंट हुई थी। तब हनुमान जी ब्राह्मण वेश में थे और उन्होंने प्रभु श्रीराम को माता सीता की खोज में सहायता देने का वचन दिया था। यही क्षण रामायण के इतिहास में एक बड़ा मोड़ बना, और उसी की स्मृति में इस दिन को 'बड़ा मंगल' कहा जाता है।
भीम और वानर की कथा
एक अन्य मान्यता के अनुसार जब महाभारत के पात्र भीम को अपने बल पर अत्यधिक घमंड हो गया था, तब हनुमान जी एक वृद्ध वानर का रूप लेकर उनके सामने आए और पूंछ हटाने का अनुरोध किया। लेकिन भीम अपनी पूरी शक्ति लगाकर भी पूंछ नहीं हटा पाए और उनका अभिमान चूर हो गया। यही घटना 'बुढ़वा मंगल' की अवधारणा से जुड़ी मानी जाती है।
बड़ा मंगल के दिन हनुमान पूजा का विशेष महत्व
इस दिन सुबह से ही भक्त हनुमान मंदिरों में जुट जाते हैं। मंगला आरती, सुंदरकांड पाठ, हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ प्रमुख रूप से किया जाता है। मंदिरों में घी और सिंदूर से हनुमान जी का श्रृंगार होता है, पान का बीड़ा, बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है। भक्तगण आशीर्वाद की कामना से नारियल, लाल झंडा और चमेली के फूल अर्पित करते हैं।
कौन-कौन से उपाय इस दिन विशेष फलदायी माने जाते हैं?
बड़ा मंगल के दिन यदि भक्त श्रद्धापूर्वक निम्न उपाय करें तो हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है:
—हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का कम से कम 7 बार पाठ करें।
—हनुमान मंदिर में लाल झंडा अर्पित करें और नारियल चढ़ाएं।
—चमेली के तेल और सिंदूर से बजरंगबली का पूजन करें और माथे पर तिलक लगाएं।
—ॐ हं हनुमते नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
—प्रसाद या भंडारा कराना विशेष पुण्यकारी माना जाता है।
क्या है सामाजिक और आध्यात्मिक पक्ष?
बड़ा मंगल सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि समाज सेवा और सहयोग का अवसर भी बन चुका है। लखनऊ जैसे शहरों में लोग बड़े मंगल के अवसर पर भंडारे, निशुल्क जल वितरण, गरीबों को भोजन और वस्त्र दान करते हैं। यह त्योहार सामाजिक समरसता और सेवा भावना को भी प्रेरित करता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मान्यता
हालांकि इन मान्यताओं का कोई प्रत्यक्ष वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, लेकिन धर्मशास्त्रों और लोक परंपराओं में इनका गहरा महत्व है। कई विद्वान मानते हैं कि इस तरह के पर्व मनुष्य को न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान करते हैं, बल्कि सामूहिकता और सामुदायिक सहयोग की भावना भी विकसित करते हैं।
बड़ा मंगल भारतीय आस्था और परंपरा का एक अहम हिस्सा है। यह न केवल हनुमान जी के प्रति भक्ति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक सेवा और सामूहिक भक्ति के उत्सव का भी उदाहरण है। धार्मिक मान्यता हो या सामाजिक समरसता—बड़ा मंगल हर दृष्टि से विशेष महत्व रखता है।
नोट: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। व्यक्तिगत जीवन में इन बातों को अपनाने से पहले किसी योग्य पंडित या विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य करें।