पूर्वजों और अतृप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए किया जाता हैं श्राद्ध, जानें इसका कौवे से कनेक्शन

By: Ankur Wed, 07 Sept 2022 07:44:39

पूर्वजों और अतृप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए किया जाता हैं श्राद्ध, जानें इसका कौवे से कनेक्शन

श्राद्ध के समय लोग अपने पूर्वजों को याद करके यज्ञ करते हैं और कौए को अन्न जल अर्पित करते हैं। हर साल श्राद्ध भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्‍विन माह की अमावस्या तक 16 दिनों के लिए आते हैं। इस बार पूर्णिमा तिथि 10 सितंबर से हैं और 25 सितंबर तक श्राद्ध रहेंगे। पूर्वजों और अतृप्त आत्माओं की सद्गति के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। श्राद्ध कर्म करना एक सभ्य मनुष्य की निशानी है। प्रत्येक पुत्र या पौत्र या उसके सगे संबंधियों का उत्तरदायित्व होता है कि अपने पूर्वजों की तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाए। इसमें पितरों के नाम से जल और अन्न का दान किया जाता हैं और उनके नियमित कौएं को भी अन्न-जल दिया जाता है। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं पूर्वजों की अतृप्ति के कारण और कौवे को श्राद्ध का भोजन खिलाने का रहस्य। आइये जानते हैं...

astrology tips,astrology tips in hindi,shraddh karm,shraddh crow connection

अतृप्ति का कारण

अतृप्त इच्छाएं, जैसे भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं रखने वाले को और अकाल मृत्यु मरन वालों के लिए। जैसे हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना या किसी रोग के चलते असमय ही मर जाना। आदि के लिए श्राद्ध करना जरूरी है। क्योंकि ऐसी आत्माओं को दूसरा जन्म मिलने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है या कि वह अधोगति में चली जाता है। उन्हें इन सभी से बचाने के लिए पिंडदान, तर्पण और पूजा करना जरूरी होता है।

अतृप्ति के और भी कई कारण होते हैं। जैसे धर्म को नहीं जानना, गलत धारणा पालना, अनजाने में अपराध या बुरे कर्म करान। हत्या करना, आत्मत्या करना, बलात्कार, हर समय किसी न किसी का अहित करना या किसी भी निर्दोष मनुष्‍य या प्राणियों को सताना, चोर, डकैत, अपराधी, धूर्त, क्रोधी, नशेड़ी और कामी आदि लोग मरने के बाद बहुत ज्यादा दु:ख और संकट में फंस जाते हैं, क्योंकि कर्मों का भुगतान तो सभी को करना ही होता है।

पितृ पक्ष एक ऐसा पक्ष रहता है जबकि उक्त सभी तरह की आत्माओं की मुक्ति का द्वारा खुल जाता है। तब धरती पर पितृयाण रहता है। जैसे पशुओं का भोजन तृण और मनुष्यों का भोजन अन्न कहलाता है, वैसे ही देवता और पितरों का भोजन अन्न का 'सार तत्व' है। सार तत्व अर्थात गंध, रस और उष्मा। देवता और पितर गंध तथा रस तत्व से तृप्त होते हैं।

astrology tips,astrology tips in hindi,shraddh karm,shraddh crow connection

क्यों खिलाया जाता हैं कौवे को श्राद्ध का भोजन

कौए को यम का प्रतीक माना जाता है। गरुण पुराण के अनुसार, अगर कौआ श्राद्ध को भोजन ग्रहण कर लें तो पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही ऐसा होने से यम भी खुश होते हैं और उनका संदेश उनके पितरों तक पहुंचाते है। गरुण पुराण में बताया गया है कि कौवे को यम का वरदान प्राप्त है। यम ने कौवे को वरदान दिया था तुमको दिया गया भोजन पूर्वजों की आत्मा को शांति देगा। पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ साथ कौवे को भोजन करना भी बेहद जरूरी होता है। कहा जाता है कि इस दौरान पितर कौवे के रूप में भी हमारे पास आ सकते हैं।

इसको लेकर एक और मान्यता प्रचलित है कहा जाता है कि एक बार कौवे ने माता सीता के पैरों में चोंच मार दी थी। इसे देखकर श्री राम ने अपने बाण से उसकी आंखों पर वार कर दिया और कौए की आंख फूट गई। कौवे को जब इसका पछतावा हुआ तो उसने श्रीराम से क्षमा मांगी तब भगवान राम ने आशीर्वाद स्वरुप कहा कि तुमको खिलाया गया भोजन पितरों को तृप्त करेगा। भगवान राम के पास जो कौवा के रूप धारण करके पहुंचा था वह देवराज इंद्र के पुत्र जयंती थे। तभी से कौवे को भोजन खिलाने का विशेष महत्व है।

ये भी पढ़े :

# अन्नत चतुर्दशी पर किया जाता हैं गणेश प्रतिमा का विसर्जन, क्यों और कैसे जानें यहां

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com