
हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद पवित्र माना जाता है, जिसे देवों के देव महादेव को समर्पित किया गया है। इसी दौरान शनिवार का दिन विशेष रूप से शनि देव की आराधना के लिए शुभ माना जाता है। जब ये दोनों पावन संयोग—सावन और शनिवार—एक साथ आते हैं, तो यह समय और भी ज्यादा फलदायी हो जाता है।
आज सावन का पहला शनिवार है, और ऐसे शुभ दिन पर शिवजी की पूजा करने से न केवल शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि शनि के प्रकोप से भी रक्षा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि देव स्वयं भोलेनाथ के अनन्य भक्त हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जो भक्त सावन शनिवार को पूरी श्रद्धा से शिवलिंग की पूजा करता है, उसे शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे दोषों से भी राहत मिलती है।
इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं उन चार खास चीजों के बारे में जिन्हें अगर आप श्रद्धा से शनिवार को शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, तो शनि देव और भगवान शिव—दोनों ही प्रसन्न होते हैं। तो आइए जानते हैं कि इस खास दिन पर कौन-सी चीजें शिवलिंग पर चढ़ाना सबसे शुभ माना गया है:
शनिवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?
सावन के शनिवार को शिवलिंग पर काले तिल, शमी के पत्ते, और नीले फूल चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, अगर आप सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो यह विशेष फल प्रदान करता है।
काले तिल: अगर आप शनिवार को शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाते हैं, तो यह शनि दोष से मुक्ति का मार्ग खोलता है। यह छोटा सा कर्म शनि देव की विशेष कृपा दिलाता है, जिससे जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं।
शमी के पत्ते: शमी का पौधा शनि देव को अत्यंत प्रिय है। जब आप सावन शनिवार को शिवलिंग पर शमी के पत्ते अर्पित करते हैं, तो यह शनि देव की प्रसन्नता का कारण बनता है। इसके प्रभाव से साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।
नीले फूल: नीला रंग शनि ग्रह का प्रतीक होता है, और साथ ही भगवान शिव को भी नीले फूल अत्यंत प्रिय हैं। अगर आप इस शुभ दिन पर नीले फूल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, तो यह एक साथ दोनों देवताओं की कृपा पाने का सरल और प्रभावी तरीका है।
सरसों का तेल: शनि देव को सरसों का तेल अत्यंत प्रिय है। यदि आप सावन शनिवार को शिवलिंग के पास सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं, तो शनि दोष से मुक्ति का मार्ग बनता है। यह क्रिया नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर जीवन में सकारात्मकता लाती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पंचांग आधारित जानकारी पर आधारित है। किसी विशेष निर्णय या अनुष्ठान से पहले योग्य पंडित या ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें।














