
11 जुलाई से सावन के पावन महीने की शुरुआत हो चुकी है, और पूरे देश में भोलेनाथ के भक्त पूरे श्रद्धा-भाव से उनकी पूजा में लीन हैं। यह महीना शिव भक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यही वह समय होता है जब भगवान शिव अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसाते हैं। इस बार सावन केवल 29 दिनों का है, और 9 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल 4 सोमवार पड़ेंगे – यानी चार बड़े मौके, जब भगवान शिव को प्रसन्न करने का अवसर मिलेगा।
लेकिन कई बार हम पूजा करते समय अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो हमारी श्रद्धा के बावजूद भोलेनाथ को अप्रसन्न कर सकती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हम पूजा विधि में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें और ऐसी गलती न करें जो हमारे पुण्य को व्यर्थ कर दे।
सावन में शिव पूजन के दौरान न करें ये 6 आम लेकिन गंभीर गलतियां
1. नारियल पानी से अभिषेक न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नारियल मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं। इसलिए सावन के पावन महीने में भगवान शिव का अभिषेक नारियल पानी से करना वर्जित है। यह छोटी सी भूल पूजा के प्रभाव को कम कर सकती है।
2. सिंदूर या कुमकुम का उपयोग न करें
शिव जी के पूजन में सिंदूर या कुमकुम चढ़ाना अशुभ माना जाता है। सावन में शिवलिंग पर सिंदूर अर्पित करना वर्जित है। यह देवी पूजा में तो प्रयोग किया जाता है, लेकिन शिवलिंग पर नहीं।
3. तामसिक भोजन से दूरी बनाए रखें
सावन में मास, मदिरा और अन्य तामसिक चीज़ों से परहेज़ जरूरी है। यह महीना शुद्ध आहार, सात्त्विक जीवनशैली और आत्म संयम का प्रतीक माना जाता है। जो लोग भक्ति में लीन हैं, उन्हें इस नियम का पालन अवश्य करना चाहिए।
4. टूटा हुआ चावल शिवलिंग पर न चढ़ाएं
पूजन में अक्षत का विशेष महत्व है, लेकिन ध्यान रखें कि टूटा हुआ चावल शिवलिंग पर चढ़ाना वर्जित है। शिव जी की पूजा में हमेशा साफ, साबुत और धुले हुए अक्षत ही प्रयोग करें, तभी आपकी भक्ति पूरी मानी जाएगी।
5. तुलसी की पत्तियां शिव जी को न चढ़ाएं
धार्मिक मान्यताओं में तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है और इसे शिव पूजा में निषिद्ध कहा गया है। ना अभिषेक में तुलसी का प्रयोग करें और न ही भोग में। यह छोटी सी सावधानी शिव कृपा पाने में आपकी मदद कर सकती है।
6. काले वस्त्र पहनकर पूजा न करें
काले रंग को पूजा में अशुभ माना जाता है, विशेषकर सावन में। शिव पूजन के दौरान सफेद, पीले या हरे रंग के वस्त्र पहनना ज्यादा शुभ होता है। यह रंग सकारात्मकता और शुद्धता का प्रतीक हैं, जो पूजा में मन को एकाग्र करते हैं।














