क्या हैं रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने का शुभ मुहूर्त, जानें इससे जुड़े नियम और मंत्र
By: Ankur Mundra Wed, 10 Aug 2022 07:25:24
सावन मास की पूर्णिमा अर्थात श्रावन पूर्णिमा को हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता हैं जो कि भाई-बहन के अटूट प्रेम और रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। इसमें बहन अपने भाई को रक्षासूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वजन देता हैं। इस बार रक्षाबंधन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई हैं कि इसे कब मनाया जाए। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10:30 से शुरू होकर अगले दिन यानी 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक रहेगी। इस समय भद्रा भी नहीं है और उदया तिथि भी है इसलिए कुछ लोग 12 अगस्त को सुबह 7:15 बजे तक ही राखी बांधने को शुभ मान रहे हैं। हांलाकि अधिकतर लोग 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन पर्व मना रहे हैं। आज इस कड़ी में हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी होगी।
11 अगस्त को कई अबूझ मुहूर्त
इस बार 2 दिन रक्षाबंधन का त्योहार आ रहा है लेकिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 11 अगस्त को ही रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 11 अगस्त को राखी बांधने के लिए कई अबूझ मुहूर्त रहेंगे, जिसमें सुबह 11:37 से लेकर दोपहर 12:29 तक अभिजीत मुहूर्त, इसके बाद दोपहर 2:14 से 3:07 तक विजय मुहूर्त रहेगा। रक्षाबंधन के दिन प्रदोष काल का मुहूर्त सुबह 8:52 से 9:14 तक रहेगा। वहीं इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी रहेगा। इसका समय शाम को 5:17 से शुरू होगा। इसलिए शुभ मुहूर्त को देखते हुए अपने भाइयों की कलाइयों में राखी बांध सकेंगी। ज्योतिष का कहना है कि भद्रा में राखी नहीं बांधनी चाहिए, न ही इस दौरान को शुभ मांगलिक कार्य करना चाहिए।
12 अगस्त को सुबह 7:15 तक का समय शुभ
पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को रात 10:39 बजे से शुरू होगी। 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी। 11 अगस्त को भद्रा काल भी है। यह सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। हिंदू धर्म की मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है इसलिए भाइयों को राखी न तो भद्रा काल में बांधी जा सकती है और न ही रात में। 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस समय भद्रा भी नहीं है और उदया तिथि भी है इसलिए कुछ लोग 12 अगस्त को सुबह 7:15 बजे तक ही राखी बांधने को शुभ मान रहे हैं।
क्यों नहीं बांधी जाती भद्रा में राखी
हिंदू मान्यता के अनुसार भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, इसलिए भद्रा काल के समय राखी बंधवाना अच्छा नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किए गए कार्य अशुभ होते हैं और उनका परिणाम भी अशुभ होता है, इसलिए भद्रा काल के समय कभी भी भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसके पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाई थी, जिसका परिणाम रावण को भुगतना पड़ा। रावण की पूरी लंका का विनाश हो गया। तब से लेकर आज तक कभी भी भद्रा मुहूर्त में राखी नहीं बंधवाई जाती है।
राखी बांधने के शास्त्रीय नियम
- राखी बंधवाने के लिए भाई को हमेशा पूर्व दिशा और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुख करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा।
- राखी बंधवाते समय भाइयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र होना चाहिए।
- काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए क्योंकि इससे नकारात्मकता ऊर्जा आकर्षित होती है।
- बहन भाई की दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे और फिर चंदन व रोली का तिलक लगाएं।
- रक्षाबंधन पर भाई की कलाई पर धागा बांधते हुए विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए कि 3 गांठ बांधे, क्योंकि यह 3 गांठ ब्रह्मा, विष्णु, महेश को भी संबोधित करती हैं। इसमें पहली गांठ भाई की लंबी उम्र और सेहत, दूसरी गांठ सुख समृद्धि और तीसरे रिश्ते को मजबूत करने की होती है।
- तिलक लगाने के बाद अक्षत लगाएं और आशीर्वाद के रूप में भाई के ऊपर कुछ अक्षत के छींटें भी दें। माथे पर कभी भी टूटे हुए चावल भी नहीं लगाने चाहिए।
- इसके बाद दीपक से आरती उतारकर बहन और भाई एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं।
- भाई वस्त्र, आभूषण, धन या और कुछ उपहार देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।
राखी बांधने का मंत्र
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।
चंदन लगाने का मंत्र
ओम चन्दनस्य महत्पुण्यं, पवित्रं पापनाशनम्। आपदां हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा ॥
सिंदूर, रोली लगाने का मंत्र
“सिन्दूरं सौभाग्य वर्धनम, पवित्रम् पाप नाशनम्। आपदं हरते नित्यं, लक्ष्मीस्तिष्ठति सर्वदा॥