हनुमान जी के परम भक्त रहे ये मुस्लिम शासक, कुछ ने बनाए मंदिर तो कुछ ने शुरू की भंडारे की परंपरा
By: Sandeep Gupta Tue, 04 Feb 2025 2:15:14
हनुमान जी के भक्तों की सूची में न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम भक्त भी शामिल हैं। संकटमोचन हनुमान अपने सभी भक्तों पर कृपा बरसाते हैं, क्योंकि वे सिर्फ देवता ही नहीं, बल्कि एक महान योद्धा भी हैं। उनकी दया, बल, ज्ञान और पराक्रम उन्हें अद्वितीय बनाते हैं। कई पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि कलयुग में भी हनुमान जी भक्तों की सहायता करते हैं और जो भी श्रद्धा भाव से उन्हें स्मरण करता है, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
देशभर में हनुमान जी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ मंदिरों का निर्माण मुस्लिम भक्तों ने कराया था। हनुमान जी ने उन पर कृपा बरसाई और उनकी विपदाओं से रक्षा की, जिससे वे उनके परम भक्त बन गए।
अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण लगभग 300 साल पहले हुआ था, जबकि लखनऊ के अलीगंज महावीर मंदिर का निर्माण 6 जून 1783 को किया गया था। इन मंदिरों के निर्माण के पीछे रोचक इतिहास जुड़ा है। बताया जाता है कि इनका निर्माण मुस्लिम शासकों द्वारा कराया गया था। हनुमान जी की कृपा से वे उनके परम भक्त बन गए और इन मंदिरों की स्थापना की।
हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या
भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में स्थित हनुमान गढ़ी मंदिर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित इस मंदिर के दर्शन किए बिना श्रीराम की पूजा अधूरी मानी जाती है। यह देश के सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों में से एक है, जिसका निर्माण एक मुस्लिम शासक द्वारा कराया गया था। इतिहासकारों के अनुसार, लगभग 300 साल पहले अयोध्या के सुल्तान मंसूर अली का इकलौता बेटा गंभीर रूप से बीमार हो गया था। स्थिति इतनी खराब थी कि उसकी जान बचना मुश्किल लग रहा था। तब उनके दरबार में किसी ने उन्हें हनुमान जी की अराधना करने की सलाह दी। बेटे की प्राण रक्षा के लिए सुल्तान ने श्रद्धा भाव से हनुमान जी को स्मरण किया। हनुमान जी की कृपा से उनके बेटे की हालत में सुधार होने लगा और वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया। इस चमत्कार के बाद सुल्तान की हनुमान जी के प्रति गहरी आस्था जागी। कृतज्ञता स्वरूप, उन्होंने 52 बीघा जमीन मंदिर और इमली वन के नाम कर दी। बाद में संत अभयारामदास के सहयोग और निर्देशन में इस भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण हुआ, जिसे आज हनुमान गढ़ी के नाम से जाना जाता है।
अलीगंज हनुमान मंदिर, लखनऊ
लखनऊ के अलीगंज में स्थित हनुमान मंदिर भक्ति, चमत्कार और हिंदू-मुस्लिम सद्भाव का प्रतीक है। इसका निर्माण लगभग 200 साल पहले अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह और उनकी बेगम राबिया के आस्था और विश्वास का परिणाम है। अवध के नवाब मुहम्मद अली शाह और बेगम राबिया संतान सुख से वंचित थे। कई मन्नतों और दुआओं के बावजूद उन्हें संतान नहीं हो रही थी। निराशा के इस दौर में किसी ने बेगम राबिया को एक हिंदू संत से मिलने की सलाह दी। अपनी पीड़ा से व्यथित बेगम संत के पास गईं, जिन्होंने उन्हें सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करने का सुझाव दिया।
बेगम ने श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा शुरू की। एक रात, उन्हें स्वप्न में हनुमान जी के दर्शन हुए। हनुमान जी ने आदेश दिया कि इस्लामीबाड़ा टीले के नीचे दबी हुई उनकी प्रतिमा को निकालकर वहां मंदिर निर्माण कराया जाए। जब टीले की खुदाई कराई गई, तो सच में वहां हनुमान जी की मूर्ति मिली। बेगम राबिया ने हनुमान जी के आदेश के अनुसार वहां भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। इसके बाद, मुहम्मद अली शाह और बेगम राबिया को संतान सुख प्राप्त हुआ।
भगवान हनुमान में नवाबों की आस्था
लखनऊ के अलीगंज में स्थित महावीर मंदिर केवल हिंदुओं की ही नहीं, बल्कि मुस्लिम नवाबों की भी अटूट आस्था का प्रतीक है। इस मंदिर का निर्माण 6 जून 1783 को हुआ था और यह हनुमान जी की कृपा और नवाबों की श्रद्धा की एक अद्भुत मिसाल है। कहा जाता है कि नवाब सआदत अली खान की मां, आलिया संतान सुख से वंचित थीं। कई प्रयासों के बाद भी जब उन्हें संतान प्राप्ति नहीं हुई, तो उन्होंने हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की। उनकी श्रद्धा और भक्ति के फलस्वरूप मंगलवार के दिन नवाब सआदत अली खान का जन्म हुआ। मन्नत पूरी होने के बाद, आलिया बेगम ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और अपनी आस्था के प्रतीक के रूप में मंदिर के ऊपर चांद-तारा भी लगवाया, जो आज भी इस मंदिर की शान बना हुआ है। नवाब वाजिद अली शाह ने भी हनुमान जी की भक्ति में बड़ा योगदान दिया। उन्होंने प्राचीन हनुमान मंदिर में लगने वाले मेले में भंडारे और ब्रह्मभोज का आयोजन शुरू किया। उनकी बेगम की ओर से बंदरों को चने खिलाने की परंपरा भी शुरू हुई, जो आज भी निभाई जाती है।
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