
श्रावण मास के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्रतों का महत्व होता है, जिनमें से एक है मंशाव्रत। यह व्रत विशेष रूप से भोलेनाथ के भक्तों के बीच लोकप्रिय है और संतान, सुख-समृद्धि, इच्छापूर्ति तथा पारिवारिक कल्याण की कामना से किया जाता है। यह व्रत श्रावण अमांत मास की चतुर्थी तिथि से लेकर दीपावली के बाद आनेवाली चतुर्थी तक चलता है, और इस अवधि में आने वाले सभी सोमवारों को व्रत रखा जाता है। कुछ भक्त इसे आजीवन भी करते हैं।
इस वर्ष मंशाव्रत की तिथियां
वर्ष 2025 में अमांत श्रावण मास की शुरुआत 25 जुलाई 2025 (शुक्रवार) से होगी। इसके अनुसार मंशाव्रत का संकल्प भक्तगण 28 जुलाई 2025 (सोमवार) को लेंगे, जो कि श्रावण मास की चतुर्थी तिथि है। इसके बाद दीपावली के उपरांत आने वाली चतुर्थी, यानी 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को व्रत का उद्यापन किया जाएगा। यह संपूर्ण अवधि भक्तों की निष्ठा, संयम और आराधना से भरी रहती है।
मंशाव्रत की पूजा विधि
मंशाव्रत के दिन भक्त प्रातःकाल स्नान कर पवित्र होकर भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा और जलाभिषेक करते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, भस्म, चंदन और पुष्प अर्पित करते हैं। इसके पश्चात ही जल या भोजन ग्रहण करते हैं। पूजा में विशेष रूप से श्रीगणेश की आराधना की जाती है, जिससे सभी कार्य निर्विघ्न पूरे हों। इसके अलावा माता पार्वती की पूजा के साथ श्रृंगार का सामान (लाल-सफेद वस्त्र, चूड़ी, सिंदूर, काजल, इत्र आदि) देवी को अर्पित किया जाता है।
इस व्रत में एक श्रीफल (नारियल) भगवान शिव को अर्पित किया जाता है, जबकि एक श्रीफल प्रसाद स्वरूप वितरित किया जाता है। व्रत के दिन भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार एक समय का सात्विक भोजन, या केवल दूध और लड्डू ग्रहण करते हैं।
व्रत सामग्री और विशेष पूजन सामग्रियां
मंशाव्रत की पूजा में निम्न सामग्रियां अनिवार्य मानी जाती हैं:
—चांदी का नाग (सर्प)
—श्रीफल (नारियल) – दो नग
—लाल व सफेद वस्त्र
—यज्ञोपवीत (जनेऊ)
—शिव व पार्वती की प्रतिमा या चित्र
—देवी श्रृंगार की वस्तुएं (चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल, इत्र आदि)
—पंचामृत, पुष्प, बेलपत्र, धूप-दीप, अक्षत, रोली और मौली
इन सभी वस्तुओं के माध्यम से भक्त अपने श्रद्धा भाव के साथ शिव परिवार की पूजा करते हैं।
मंशाव्रत की विशेषता
मंशाव्रत एक इच्छापूर्ति व्रत है और ऐसा माना जाता है कि इसका विधिपूर्वक पालन करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। भक्तों की संतान सुख, दांपत्य सुख, नौकरी, व्यापार, विवाह, मानसिक शांति और आरोग्य से जुड़ी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। व्रत में सच्ची श्रद्धा और नियम पालन अत्यंत आवश्यक माना गया है।
उद्यापन का महत्व
व्रत का उद्यापन अर्थात् पूर्णता का दिन दीपावली के पश्चात आनेवाली चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विशेष पूजन के साथ व्रत का समापन होता है। कई स्थानों पर भक्त यज्ञ, हवन या सामूहिक भंडारा आदि भी करवाते हैं।
श्रावण मास की चतुर्थी से दीपावली के बाद की चतुर्थी तक चलने वाला यह व्रत भक्तों के लिए एक धार्मिक, मानसिक और आत्मिक अनुशासन का प्रतीक है। यह न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य भी लेकर आता है। इस बार 28 जुलाई से शुरू होने जा रहा मंशाव्रत भक्तों के लिए एक और पवित्र अध्याय की शुरुआत का अवसर है। यदि आप भी श्रद्धा और नियम के साथ इस व्रत का पालन करें, तो निश्चित रूप से आपके जीवन की हर मंशा पूरी हो सकती है।














