
दिवाली के तुरंत बाद जब घरों में दीपक की लौ धीमी पड़ती है, तभी शुरू होती है छठ महापर्व की तैयारियां। सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के लिए समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और अनुशासित त्योहारों में से एक माना जाता है। इस पर्व की विशेषता है शुद्धता, संयम और आस्था का अद्भुत संगम।
छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जिसकी शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है और समापन ‘उषा अर्घ्य’ के साथ होता है। इस दौरान व्रती (मुख्य रूप से महिलाएं) कठोर उपवास रखती हैं और सूर्य देव से परिवार के स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं।
छठ पूजा 2025 की तारीखें
इस वर्ष छठ पर्व का आरंभ 25 अक्टूबर (शनिवार) से होगा।
25 अक्टूबर – नहाय-खाय
26 अक्टूबर – खरना
27 अक्टूबर – संध्या अर्घ्य
28 अक्टूबर – उषा अर्घ्य (पारण)
चार दिनों के इस पर्व में हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है, और इसके साथ जुड़ी पूजा सामग्री भी विशेष रूप से चुनी जाती है। ताकि पूजा-विधि में कोई कमी न रह जाए, नीचे दी गई है छठ पूजा की संपूर्ण सामग्री सूची।
छठ पूजा सामग्री सूची (Chhath Puja Samagri List 2025)
मुख्य सामग्री:
बांस की 3 या 5 सूप या टोकरी
गन्ने का जोड़ा
नारियल (पानी वाला)
फल: केला, सेब, अमरूद, नींबू, शरीफा, शकरकंद, मूली, गाजर
नया धान का चावल (अरवा)
आटा, सूजी, चना दाल
गुड़, मेवे, ठेकुआ, घी
पूजन सामग्री:
दीपक, कपूर, अगरबत्ती, धूप
फूल, कुमकुम, पीला सिंदूर, चंदन, अक्षत
लौंग, इलायची, सुपारी, पान का पत्ता
गंगाजल, जल से भरा लोटा, माचिस
अर्घ्य देने हेतु पीतल या तांबे का लोटा
हल्दी, कलावा, नई साड़ी, मिठाई
आम की लकड़ी, मिट्टी का चूल्हा, घी
छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व (Chhath Puja Importance 2025)
छठ पूजा भारतीय संस्कृति का वह पर्व है, जिसमें प्रकृति, सूर्य और आत्मसंयम का त्रिवेणी संगम दिखाई देता है। यह त्योहार केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सूर्य की उपासना शरीर और मन दोनों के लिए ऊर्जा का स्रोत मानी जाती है।
यह पर्व दीपावली के कुछ दिनों बाद, कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक मनाया जाता है। व्रती 36 घंटे का कठोर निर्जला उपवास रखकर सूर्य देव और छठी मैया का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
ऐसा विश्वास है कि इस पूजा से घर में शांति, समृद्धि और सुख का वास होता है, और परिवार के सभी सदस्य रोग-शोक से मुक्त रहते हैं।














