Tokyo Olympic : यहां जानें-पुरुष हॉकी टीम किससे और कब खेलेगी कांस्य मुकाबला, हुब्बार्ड बनीं पहली ट्रांसजेंडर

टोक्यो ओलंपिक में आज सुबह अब तक लाजवाब प्रदर्शन करती आई भारतीय पुरुष हॉकी टीम को हार का मुंह देखना पड़ा। उसे सेमीफाइनल में बेल्जियम ने 5-2 से हरा दिया। हालांकि भारत की पदक उम्मीद अब भी खत्म नहीं हुई है। अब तय हो गया है कि उसे कांस्य पदक के मुकाबले में किससे भिड़ना है। शाम को खेले गए दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने जर्मनी को 3-1 से शिकस्त दी।

अब भारत को 5 अगस्त को कांस्य पदक के लिए जर्मनी से टक्कर लेनी है, जबकि फाइनल बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला जाएगा। भारत का मैच सुबह सात बजे से शुरू होगा। जर्मनी ने रियो ओलंपिक में कांसा हासिल किया था। ऐसे में भारत के लिए आसान चुनौती नहीं रहेगी। भारत ने अंतिम बार मॉस्को ओलंपिक 1980 में फाइनल में जगह बनाई थी और तब टीम ने अपने आठ स्वर्ण पदकों में से आखिरी स्वर्ण जीता था। इसके बाद अब भारत को पदक जीतने का मौका मिला है।

हुब्बार्ड ने वेटलिफ्टिंग इवेंट में लिया हिस्सा, पदक से चूकीं

न्यूजीलैंड की लौरेल हुब्बार्ड ने ओलंपिक में ट्रांसजेंडर एथलीट बनकर इतिहास रच दिया है। 43 वर्षीय वेटलिफ्टर ने महिलाओं के लिए निष्पक्षता और जेंडर पहचान को मजबूती दी है। हुब्बार्ड ने सोमवार को महिलाओं के 87 किग्रा. से ज्यादा के भार वर्ग में हिस्सा लिया। हालांकि वे पदक नहीं जीत पाईं। हुब्बार्ड ने कहा कि टोक्यो खेलों में पहली बार खुले तौर पर ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों ने भाग लिया है। मैं जो कुछ भी बनना चाहती हूं, वह मैं हूं। मैं बहुत आभारी हूं कि मुझे यहां आने का अवसर मिला। जो खेल मुझे प्रेरित करता है। मुझे लगता है वह गेम ही है।


हुब्बार्ड ने 2017 की विश्व चैंपियनशिप में जीता था रजत

भारोत्तोलन मुझे आकर्षित करता है, क्योंकि मुझे लगता है कि कोई अपने समय में ट्रेनिंग कर सकता है। यह सब करने के लिए हमारे पास एक मिनट का समय है। यह वास्तविक परीक्षा है। मैं ओलंपिक में मेरी भागीदारी से जुड़े विवाद से पूरी तरह अनजान नहीं हूं। मैं विशेष रूप से आईओसी को धन्यवाद देना चाहती हूं। मुझे लगता है कि मैं वास्तव में ओलंपिक के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हूं। हुब्बार्ड ने साल 2017 की विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर और ओशिनिया चैंपियनशिप 2019 में स्वर्ण पदक जीता था।