भारत की गेंदबाजी पर उठे सवालों के बीच कोच गंभीर का बयान, हर टेस्ट के बाद आंकना सही नहीं

भारत और इंग्लैंड के बीच लीड्स में खेले गए पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में टीम इंडिया को 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। यह मुकाबला जहां एक ओर बल्लेबाजी के लिहाज़ से भारत के लिए कई सकारात्मक संकेत लेकर आया, वहीं दूसरी ओर तेज गेंदबाजी विभाग की अनुभवहीनता ने हार की बड़ी वजहों में से एक भूमिका निभाई। हालांकि, मैच के बाद मुख्य कोच गौतम गंभीर ने मीडिया से बातचीत करते हुए टीम के युवा गेंदबाजी आक्रमण का जमकर बचाव किया।

अनुभव की कमी पर गंभीर का स्पष्ट संदेश

गौतम गंभीर ने साफ शब्दों में कहा कि टीम के युवा गेंदबाजों को तुरंत आंकना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, हमें उन्हें समय देना होगा। पहले जब भारत के पास चार अनुभवी तेज गेंदबाज हुआ करते थे, जिनके पास 40 से अधिक टेस्ट मैचों का अनुभव था, तब स्थितियां अलग थीं। लेकिन अब इन युवाओं के करियर की शुरुआत हो रही है। यदि हम हर टेस्ट के बाद उनका मूल्यांकन करना शुरू कर देंगे, तो हम एक स्थायी और प्रभावी गेंदबाजी आक्रमण कैसे तैयार कर पाएंगे?

उन्होंने यह भी कहा कि टेस्ट क्रिकेट, विशेष रूप से विदेश दौरों पर, अनुभव की मांग करता है, और मौजूदा समय में भारत जिन खिलाड़ियों के साथ खेल रहा है, उन्हें लंबे समय का अवसर देना होगा ताकि वे टेस्ट क्रिकेट की बारीकियों को समझ सकें और मानसिक तौर पर परिपक्व हो सकें।

बुमराह के अलावा किसी ने नहीं छोड़ी गहरी छाप

मैच में जसप्रीत बुमराह ने पांच विकेट लेकर इंग्लिश बल्लेबाजों को परेशान किया, लेकिन बाकी गेंदबाजों — प्रसिद्ध कृष्णा, मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर — का प्रदर्शन औसत रहा। खासकर प्रसिद्ध कृष्णा ने भले ही विकेट लिए, लेकिन उन्होंने काफी रन लुटाए। गंभीर को हालांकि लगता है कि प्रसिद्ध में एक बेहतरीन टेस्ट गेंदबाज बनने के सभी गुण हैं।

शार्दुल के चयन और गेंदबाजी को लेकर आई आलोचनाओं का जवाब

कोच गंभीर ने शार्दुल ठाकुर के सीमित इस्तेमाल को लेकर उठे सवालों पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि शार्दुल को पूरी तरह नजरअंदाज नहीं किया गया, बल्कि कप्तान ने परिस्थितियों के अनुसार गेंदबाजी आक्रमण में बदलाव किया। उन्होंने कहा, कप्तान परिस्थितियों के अनुसार फैसले लेता है। रविंद्र जडेजा ने पहली पारी में संतुलन दिया जिससे बाकी तेज गेंदबाजों को अदला-बदली के साथ उतारा गया।

गंभीर ने माना पुछल्ले बल्लेबाजों की विफलता से बिगड़ी रणनीति


लीड्स टेस्ट की पहली पारी में भारत ने 471 और दूसरी पारी में 364 रन बनाए थे। दोनों पारियों में भारतीय टॉप ऑर्डर की चमकदार बल्लेबाज़ी देखने को मिली, लेकिन निचले क्रम का योगदान लगभग नगण्य रहा। गंभीर ने इस पर भी खुलकर बात की और स्वीकार किया कि यह एक अहम चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा, अगर हम पहली पारी में 570–580 रन बना लेते तो हम मैच पर पकड़ मजबूत कर सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं है कि पुछल्ले बल्लेबाजों ने जानबूझकर खराब प्रदर्शन किया। वे खुद इस बात से निराश हैं, क्योंकि उन्हें भी पता था कि टीम के पास मैच में बढ़त लेने का अवसर था।

कप्तान शुभमन गिल के लिए सराहना और समर्थन


शुभमन गिल ने कप्तान के रूप में अपने पहले ही टेस्ट में शानदार शतक लगाया, लेकिन उनकी कप्तानी को लेकर भी सवाल उठे। कोच गंभीर ने इस पर भरोसा जताते हुए कहा, यह उनका पहला टेस्ट मैच था बतौर कप्तान, इसलिए थोड़ा नर्वस होना स्वाभाविक था। लेकिन उन्होंने बेहतरीन बल्लेबाजी की और उनके पास एक सफल कप्तान बनने के सारे गुण मौजूद हैं। हमें बस उन्हें समय देना होगा।

टीम इंडिया का भविष्य: निर्माण की प्रक्रिया जारी है

गंभीर ने यह स्पष्ट किया कि भारतीय टीम एक निर्माण प्रक्रिया से गुजर रही है। उन्होंने कहा, यह केवल एक दौरे की बात नहीं है, बल्कि एक ऐसे तेज गेंदबाजी आक्रमण के निर्माण की दिशा है जो अगले कई वर्षों तक भारत की सेवा कर सके। उनका इशारा इस ओर था कि जल्दबाज़ी में खिलाड़ियों को बाहर करने की प्रवृत्ति भारतीय क्रिकेट को नुकसान पहुंचा सकती है।

हार से घबराने की नहीं, सबक लेने की ज़रूरत


लीड्स टेस्ट में भारत की हार भले ही निराशाजनक रही हो, लेकिन उसमें से सबक लेकर आगे की राह तय की जा सकती है। गंभीर का रुख बताता है कि टीम प्रबंधन जल्दबाज़ी में फैसले नहीं लेना चाहता और युवा खिलाड़ियों को लंबा मौका देकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार कर रहा है।

गंभीर के बयान से यह साफ संकेत मिलता है कि भारतीय टीम का यह युवा तेज गेंदबाजी दल आने वाले समय में मजबूत होगा, बशर्ते उसे पर्याप्त समर्थन, समय और अवसर दिए जाएं। लीड्स में मिली हार अब अतीत की बात है, लेकिन उससे मिले सबक भारत के लिए अगली लड़ाइयों में निर्णायक साबित हो सकते हैं।