यूट्यूबर ज्योति पर PAK के लिए जासूसी का आरोप, क्या है कानून और कितनी हो सकती है देशद्रोह की सजा?

हरियाणा के हिसार जिले की रहने वाली यूट्यूबर और ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उसके खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act -1923) की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसके साथ ही भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152 के तहत भी उस पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

अब सवाल यह उठता है कि ये धाराएं क्या कहती हैं और अगर ज्योति दोषी पाई जाती है, तो उसे कितनी सजा हो सकती है? आइए एक्सपर्ट से समझते हैं।

ISI के लिए जासूसी, फिर गिरफ्तारी और रिमांड

33 वर्षीय ज्योति मल्होत्रा, जो यूट्यूबर के साथ-साथ ट्रैवल ब्लॉगर भी हैं, पर आरोप है कि वह इसी पहचान की आड़ में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी कर रही थी। उसे 17 मई 2025 को गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि वह भारत की संवेदनशील जानकारियां ISI से साझा कर रही थी। गिरफ्तारी के बाद हिसार पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया।

कई बार पाकिस्तान की यात्रा, संदिग्ध संपर्क

पुलिस के अनुसार, ज्योति पहले भी कई बार पाकिस्तान जा चुकी है। यहां तक कि जब कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ था, उससे ठीक पहले भी वह पाकिस्तान गई थी और वहां के ऑपरेटिव से संपर्क में थी। इसके अलावा वह एक बार चीन भी यात्रा कर चुकी है। सूत्रों के मुताबिक, उसे केंद्रीय एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर गिरफ्तार किया गया।

किस कानून के तहत गिरफ्तारी हुई?

ज्योति की गिरफ्तारी आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम-1923 के तहत हुई है। यह कानून ब्रिटिश शासन काल का है। शुरुआत में इसे द इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट (Act XIV)-1889 के नाम से जाना जाता था और इसका इस्तेमाल ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बोलने वाले अखबारों पर कार्रवाई के लिए होता था। इसके बाद इसमें संशोधन कर 1904 और अंततः 1923 में मौजूदा रूप में लागू किया गया।

ज्योति को कितनी हो सकती है सजा?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी दुबे के अनुसार, ज्योति के खिलाफ OSA की धारा 3 और 5 के तहत मामला दर्ज हुआ है।

धारा 3: यदि कोई व्यक्ति निषिद्ध स्थल पर जाता है, या ऐसा कोई स्केच, मॉडल या जानकारी तैयार करता है जिससे दुश्मन को फायदा हो सकता है, या गोपनीय पासवर्ड साझा करता है — तो यह धारा लागू होती है।

सजा: आमतौर पर 3 साल की जेल।

लेकिन यदि मामला सेना या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो, तो 14 साल तक की जेल या आजीवन कारावास तक हो सकता है।

धारा 4: इसमें 3 साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

धारा 5: यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर या लापरवाही से गोपनीय जानकारी किसी गलत व्यक्ति को देता है, तो उस पर भी मुकदमा दर्ज किया जाएगा। यहां इरादे की नहीं, बल्कि जानकारी लीक होने की जिम्मेदारी की बात होती है। जिस व्यक्ति को जानकारी दी गई हो, उस पर भी केस बन सकता है।

BNS की धारा 152 के तहत क्या कहता है कानून?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति लिखित, मौखिक, सांकेतिक, दृश्य माध्यम या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए, या वित्तीय संसाधनों का उपयोग कर देश की अखंडता, एकता या संप्रभुता के खिलाफ कार्य करता है — जैसे अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है — तो:

सजा: दोष सिद्ध होने पर 7 साल तक की जेल और जुर्माना।

यह मामला बेहद संवेदनशील है और यदि आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो ज्योति को गंभीर सजा हो सकती है। देश की सुरक्षा और अखंडता से जुड़े मामलों में न्याय प्रणाली सख्ती बरतती है और कानून के तहत कड़ी सजा का प्रावधान है।