आखिर RBI के प्रतीक-चिह्न पर बाघ और ताड़ का पेड़ क्यों! जानें इसका इतिहास

हमने कई बार भारतीय रिजर्व बैंक के प्रतीक-चिह्न को देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा की इस प्रतीक-चिह्न पर बाघ और ताड़ का पेड़ क्यों बना हुआ है? शायद आपने कभी इस और गौर ही नहीं किया होगा लेकिन आज हम आपको इसकी जानकारी देते है। आरबीआई की नींव ब्रिटिश भारत के दौरान साल 1926 में रखी गई थी, जब भारतीय मुद्रा और वित्त के लिए रॉयल कमीशन ने एक केंद्रीय बैंक बनाने की सिफारिश की। रॉयल कमीशन को हिल्टन यंग कमीशन के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि साल 1934 के आरबीआई अधिनियम के तहत इसे केंद्र सरकार का बैंक बनाया गया। केंद्रीय बैंक, मुद्रा और क्रेडिट के नियंत्रण को अलग करने और पूरे देश में बैंकिंग सुविधाओं में वृद्धि के लिए बनाया गया था। देश के बैंकों का बैंक कहे जाने वाले RBI का आधिकारिक प्रतीक चिन्ह - ताड़ का पेड़ और बाघ है। यह चिन्ह औपनिवेशिक अतीत की निशानी है और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतीक चिन्ह से लिया गया है।

ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रतीक चिन्ह में शेर और ताड़ का पेड़ था। नया प्रतीक चिन्ह भी इसी तरह होना था। दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी है, लेकिन साथ ही एक विशिष्ट कार्य के साथ एक अलग इकाई भी है। भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, प्रतीक चिन्ह बनाने के दौरान यह विचार किया गया था कि यह बैंक के सरकारी होने का प्रतीक तो हो लेकिन इस पर भी जोर रहे कि इसकी सरकार से बहुत ज्यादा करीबी नहीं है। इसके साथ ही इसकी डिजाइन भारतीय होना चाहिए थी। इसके बाद फैसला किया गया कि शेर की जगह प्रतीक चिन्ह में बाघ का इस्तेमाल किया जाएगा। उस समय बाघ भारत में बहुत थे। दूसरी ओर शेर ईस्ट इंडिया कंपनी के मुकुट पर था और ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों द्वारा इनका खूब शिकार किया गया था। एक अधिकारी ने बताया, 'बाघ को इसलिए रखा गया था क्योंकि इसे शेर की तुलना में अधिक 'भारतीय' जानवर माना जाता था। उस समय, बाघ देश भर में थे जबकि शेर लगभग विलुप्त हो रहे थे।'