रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के नए टैरिफ ऑर्डर के बाद अधिकांश सब्सक्राइबर्स के लिए टीवी देखने का खर्च बढ़ सकता है। हालांकि पॉपुलर चैनल्स को इसका फायदा होगा। TRAI की नई गाइडलाइन के तहत ब्राडकॉस्टर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स की ओर से नेटवर्क कैपेसिटी फी और चैलस प्राइस का ऐलान करने के बाद अधिकांश सब्सक्राइबर्स के लिए टीवी चैनल्स का महीने का खर्च बढ़ सकता है। क्रिसिल का मानना है कि 1 फरवरी से प्रभाव में आए इन नियमों से पापुलर चैनलों को फायदा होगा और ‘ओवर द टॉप’ सर्विसेज जैसे नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार आदि की तरफ लोगों का रुझान बढ़ेगा। इससे ब्रॉडकॉस्टर्स इंडस्ट्री में एकीकरण और विलय को भी बढ़ावा मिलेगा क्योंकि अब प्रोग्राम की क्वालिटी ही मायने रखेगी। गुप्ता ने बताया कि नए प्रावधानों से ब्राडकॉस्टर्स का रेवेन्यू 40 फीसदी बढ़कर 94 रुपये प्रति उपभोक्ता पर पहुंच जाएगा। यह अभी 60 से 70 रुपये प्रति उपभोक्ता प्रति माह है। चूंकि, उपभोक्ता लोकप्रिय चैनलों की ओर ज्यादा भागेंगे इसलिए कीमतें तय करने में बड़े ब्राडकास्टर्स की ज्यादा चलेगी। वहीं, कम लोकप्रिय चैनलों की मुश्किल बढ़ेगी जबकि सबसे कम लोकप्रिय चैनल बंद होने पर मजबूर हो सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, DTH और केबल ऑपरेटर जैसे डिस्ट्रिब्यूटर्स के लिए इसका मिलाचुला असर होगा। उन्हें पैकेजिंग से होने वाला फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन प्रति उपभोक्ता उनकी कमाई तय हो गई है। क्रिसिल के डायरेक्टर नितेश जैन का कहना है कि ओवर द टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म को नई फ्रेमवर्क आने के बाद ज्यादा फायदा होगा। क्योंकि अधिकांश दर्शक सब्सक्रिप्शन खर्च बढ़ने से OTT प्लेटफॉर्म की ओर से शिफ्ट होंगे। वहीं, कम डाटा टैरिफ उन्हें अपनी ओर आसानी से आकर्षित करेगा।
बता दे, TRAI फ्रेमवर्क का मकसद टीवी यूजर्स के लिए चैनल चुनने और उस पर खर्च करने में पारदर्शिता और एकरूपता लाना है। नए नियमों में कंज्यूमर्स को अपनी पसंद के चैनल चुनने और उसके अनुसार भुगतान करने की आजादी मिलती है। इसके टीवी ब्राडकास्टर्स को प्रत्येक चैनल और उसके बुके के अधिकतम खुदरा मूल्य का खुलासा करना होता है। क्रिसिल के सीनियर डायरेक्टर सचिन गुप्ता ने कहा, नियमों के हमारे विश्लेषण से यह पता चला है कि दर्शकों के मासिक टीवी बिल पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। पुरानी कीमतों से तुलना करने पर 10 चैनल सब्सक्राइब करने वाले उपभोक्ताओं का बिल मौजूदा 230-240 रुपये की तुलना में 25 फीसदी तक बढ़कर 300 रुपये प्रति माह पर पहुंच सकता है। लेकिन, यदि उपभोक्ता 5 चैनल या इससे कम सब्सक्राइब करते हैं तो उनका बिल घट सकता है।