सुप्रीम कोर्ट की बाबा रामदेव को कड़ी फटकार, मांगी बिना शर्त माफी, अगली सुनवाई में फिर होंगे पेश

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों पर अपने निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए बाबा रामदेव को कड़ी फटकार लगाई, जबकि योग गुरु, जो अदालत में मौजूद थे, ने बिना शर्त माफी मांगी। भ्रामक विज्ञापन मामले से संबंधित अवमानना कार्यवाही में बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था।

पतंजलि आयुर्वेद की ओर से भ्रामक विज्ञापन और एलोपैथी चिकित्सा को निशाने पर लेने के मामले में आज योग गुरु रामदेव खुद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उनके साथ पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी अदालत में दिखे। इस दौरान रामदेव ने वकील के माध्यम से कहा कि हम निजी तौर पर अदालत में हैं और माफी मांगते हैं, जिसे रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि आपको पहले ही चेतावनी दी गई थी और आपने एफिडेविट भी दाखिल किया था। फिर क्यों इस तरह की गलती हुई। यह पूरी तरह से अवमानना है। केवल उच्चतम न्यायालय ही नहीं बल्कि देश भर की सभी अदालतों द्वारा पारित हर आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए।

पिछली सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल करने में विफलता के लिए पतंजलि की खिंचाई की थी कि अदालत को दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि द्वारा औषधीय इलाज पर झूठे और भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने पर नाराजगी व्यक्त की थी, जबकि उसने वादा किया था कि वह ऐसा करना बंद कर देगी।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने रामदेव को यह बताने के लिए नोटिस भी जारी किया था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।

शीर्ष अदालत ने पतंजलि को अपने उत्पादों के सभी विज्ञापनों को रोकने का भी निर्देश दिया था, जिसमें उसने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 में निर्दिष्ट बीमारियों और विकारों का इलाज करने का दावा किया था।

अदालत ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को निजी तौर पर फिर से अदालत में पेश होने का आदेश दिया है। अब दोनों को 10 अप्रैल को फिर कोर्ट में हाजिर रहना होगा। इसी दिन पतंजलि और योग गुरु रामदेव को हलफनामा भी दाखिल करना होगा। अदालत ने कहा कि हम आपको आखिरी मौका देते हैं और जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का वक्त है। उच्चतम न्यायालय ने हलफनामे में पतंजलि के प्रबंध निदेशक के उस बयान को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि औषधि और प्रसाधन सामग्री (जादुई उपचार) अधिनियम पुराना है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से ऐक्शन न लेने पर भी हैरानी जताई। जस्टिन अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि आश्चर्य है कि जब पतंजलि कंपनी जोर-शोर से यह कह रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है तब सरकार ने अपनी आंखें बंद क्यों रखी। इस पर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था।' कोर्ट ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से कहा, 'आपको न्यायालय में दिए गए वचन का पालन करना होगा, आपने हर सीमा को तोड़ दिया है।'

गौरतलब है कि 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन के मामले में पतंजलि आयुर्वेद, कंपनी के मुखिया रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि इस मामले में रामदेव और बालकृष्ण खुद अगली सुनवाई पर खुद पेश हों। इसके बाद रामदेव और बालकृष्ण आज अदालत पहुंचे। यही नहीं अब उन्हें कोर्ट ने फिर से निजी तौर पर अदालत में पेश होने को कहा है।