आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण (Reservation Bill) बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यूथ फॉर इक्विलिटी ने संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस बारे में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई है। जिसमे कहा गया है कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। गौरतलब है कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को रोजगार और शिक्षा में आरक्षण देने संबंधी संविधान (124वां संशोधन) विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। बुधवार को कोटा बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया। संविधान (124वां संशोधन) विधेयक लोकसभा से मंगलवार को ही पारित हो गया था।
मंगलवार को लोकसभा में पेश किए गए आरक्षण विधेयक का लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया था और उसे पारित भी करा लिया। बिल के समर्थन में जहां 323 वोट पड़े वहीं, विरोध में महज 3 वोट। लगभग सभी दलों ने इसका पक्ष लिया, लेकिन किसी ने भी इसका खुलकर विरोध नहीं किया। हालांकि कई सांसदों ने इस विधेयक को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल भी खड़े किए। कांग्रेस ने कहा कि वह आर्थिक रूप से पिछड़े तबकों को शिक्षा एवं सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए लाए गए विधेयक के समर्थन में है, लेकिन उसे सरकार की मंशा पर शक है। पार्टी ने कहा कि सरकार का यह कदम महज एक 'चुनावी जुमला' है और इसका मकसद आगामी चुनावों में फायदा हासिल करना है। वहीं, बसपा, सपा, तेदेपा और द्रमुक सहित विभिन्न पार्टियों ने इसे भाजपा का चुनावी स्टंट करार दिया। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने वाला विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पारित होने पर इसे देश के इतिहास में ''ऐतिहासिक क्षण'' करार दिया। लोकसभा में यह विधेयक पारित होने के बाद किए गए ट्वीट में मोदी ने कहा कि इसने एक ऐसे प्रभावी उपाय को हासिल करने की प्रक्रिया को गति दी है जिससे समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित होगा। मोदी ने कहा, ''यह सुनिश्चित करना हमारा प्रयास है कि हर गरीब व्यक्ति, चाहे वह किसी भी जाति या संप्रदाय का हो, गरिमापूर्ण जीवन जिये और उसे हर संभव मौके मिलें।'' पीएम मोदी ने कई ट्वीट में लिखा, ‘खुशी है कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया है जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के लिए संविधान में संशोधन करता है। मुझे देखकर प्रसन्नता हुई कि इसे इतना व्यापक समर्थन मिला।'' उन्होंने कहा कि विधेयक का पारित होना संविधान निर्माताओं और महान स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने एक ऐसे भारत की परिकल्पना की जो मजबूत एवं समावेशी हो। राज्यसभा ने बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने वाले संविधान संशोधन को मंजूरी दे दी।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा से बिल पास होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया, 'आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाले विधेयक के राज्यसभा में पास होने पर प्रधानमंत्री मोदी जी को हार्दिक बधाई और इसका समर्थन करने वाले सभी सदस्यों का आभार।'