
जयपुर। राजस्थान के चर्चित रीट पेपर लीक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को एक और बड़ा कदम उठाया है। एजेंसी ने मुख्य आरोपी रामकृपाल मीणा की अलवर स्थित 1.3 हेक्टेयर कृषि भूमि को जब्त कर लिया है। यह जमीन लक्ष्मणगढ़ तहसील के खोहरा गांव में स्थित है, जिसकी सरकारी कीमत 1.23 करोड़ रुपए है, लेकिन बाजार मूल्य 10 करोड़ रुपए से अधिक आंका गया है।
यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की गई है। रामकृपाल पहले से ही जेल में बंद है और उससे जुड़ी करोड़ों की संपत्तियां पहले भी ED की रडार पर आ चुकी हैं। जांच एजेंसी अब तक उसकी करीब 26.59 लाख रुपए मूल्य की संपत्तियों को कुर्क कर चुकी है।
संगठित नेटवर्क से लीक हुआ था पेपरस्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की पड़ताल में सामने आया है कि रामकृपाल मीणा ने परीक्षा से पहले ही 50 से ज्यादा परीक्षा केंद्रों तक पेपर पहुंचा दिया था। यह पेपर जयपुर के स्ट्रॉन्ग रूम से लीक किया गया, और करीब 1.25 करोड़ रुपए में डील हुई थी। यह लीक केवल भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि सिस्टम की कमजोरियों और भीतरघात का जीता-जागता उदाहरण है।
पेपर माफिया के मास्टरमाइंड और सरकारी मिलीभगतइस पूरे नेटवर्क में जयपुर जिला कोऑर्डिनेटर प्रदीप पाराशर की भूमिका को बेहद अहम माना जा रहा है। उसी ने पेपर को स्ट्रॉन्ग रूम से निकालकर रामकृपाल तक पहुंचाया। पूर्व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारौली और पाराशर दोनों पर जांच एजेंसियों की नजर है। पाराशर को SOG ने 30 जनवरी 2022 को गिरफ्तार किया था, और रामकृपाल के स्कूल-कॉलेज की तीन मंजिला इमारत को भी ध्वस्त किया गया।
अब तक 131 गिरफ्तारियां, बैंक खाते भी जब्तइस घोटाले में अब तक 131 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सितंबर 2024 में ED ने रामकृपाल और पाराशर के चार बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था, जिनमें कुल 10.89 लाख रुपए जमा थे।
क्या यह प्रशासनिक चूक थी या मिलीभगत?रीट पेपर लीक कांड ने प्रदेश की परीक्षा व्यवस्था, सुरक्षा तंत्र और प्रशासनिक निगरानी पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जयपुर जैसे हाईसिक्योरिटी इलाके से पेपर बाहर जा सकता है, तो बाकी व्यवस्था कितनी सुरक्षित है?
शिक्षा व्यवस्था या संगठित व्यापार?यह मामला केवल पेपर लीक नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि शिक्षा अब परीक्षा नहीं, बल्कि व्यापार बन चुकी है। जहां लाखों में पेपर बेचे जाएं और शिक्षक बनने की सीटें खरीदी जाएं, वहां सिस्टम को पूरी तरह से पुनः परिभाषित करने की जरूरत है।