चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 2015 के बेअदबी मामलों के सिलसिले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। यह फैसला हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई पर लगी रोक हटा दी थी।
बेअदबी की इन घटनाओं के बाद सिख समुदाय ने व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किया था, जिस दौरान हुई झड़प में पुलिस की फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर को जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया। कोर्ट ने राम रहीम को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का भी निर्देश दिया।
2015 के गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में मुकदमा चलाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इसी साल मार्च में बेअदबी के आरोप में चल रहे तीन मामलों की जांच पर रोक लगाई थी।
इस आदेश को पंजाब की भगवंत मान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई इस रोक को हटा लिया। इसके साथ ही राम रहीम को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राम रहीम के खिलाफ निचली अदालत में ट्रायल शुरू हो सकेगा।
पंजाब सरकार ने डेरा सच्चा समिति के तीन सदस्यों प्रदीप क्लेर, हर्ष धुरी और संदीप बरेटा के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पंजाब के फरीदकोट के थाने में दर्ज तीन मामलों में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है।
पहला मामला एक जून 2015 को फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला गांव में गुरुद्वारा से गुरुग्रंथ साहब की बीड़ चोरी का है। दूसरा मामला फरीदकोट में ही बरगाड़ी में 24 और 25 सितंबर 2015 को सिख धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्टर लगाए जाने का है। तीसरा मामला 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी में गुरुग्रंथ साहब की चोरी हुई बीड़ के पन्ने फाड़ने का है।
बता दें कि गुरमीत राम रहीम रेप और हत्या के मामले में 20 साल की सजा काट रहा है। वह हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 20 दिन की पैरोल पर बाहर था।