
केरल की मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न की घटनाओं की जांच के लिए गठित हेमा समिति की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज 35 मामलों को विशेष जांच टीम (SIT) ने बंद कर दिया है। SIT ने बुधवार को केरल हाईकोर्ट को सूचित किया कि किसी भी पीड़िता ने आगे आकर बयान नहीं दिया, इसलिए आगे की जांच संभव नहीं हो सकी। न्यायालय ने SIT के इस पक्ष को स्वीकार करते हुए कहा कि इन मामलों में फिलहाल कोई और कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।
हेमा कमेटी: पृष्ठभूमि और उद्देश्यहेमा कमेटी का गठन केरल सरकार ने वर्ष 2017 में चर्चित एक्ट्रेस असॉल्ट केस के बाद किया था। इस समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) हेमा कर रही थीं। कमेटी का उद्देश्य मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में कार्यरत महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न और भेदभाव की घटनाओं की जांच कर रिपोर्ट तैयार करना था। समिति ने अपने अध्ययन में कई महिलाओं की शिकायतें दर्ज की थीं, जिनमें शोषण, डर और फिल्मी नेटवर्क में सत्ता के दुरुपयोग जैसे गंभीर मुद्दे उठाए गए थे।
SIT को सौंपे गए थे केस, लेकिन पीड़िताएं नहीं आईं सामनेजब हेमा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर SIT ने 35 मामले दर्ज किए, तब उम्मीद थी कि इन मामलों में कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। लेकिन SIT ने अब कोर्ट को बताया कि इन सभी मामलों में पीड़ित महिलाएं आगे नहीं आईं, न ही उन्होंने बयान देने की इच्छा जताई। बिना शिकायतकर्ता के सहयोग के, इन मामलों की जांच को तार्किक अंजाम तक ले जाना संभव नहीं था।
हाईकोर्ट की टिप्पणी: फिलहाल कोई कार्रवाई आवश्यक नहींन्यायमूर्ति ए.के. जयशंकरण नांबियार और न्यायमूर्ति सी.एस. सुधा की पीठ ने SIT की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इन मामलों में वर्तमान में कोई अतिरिक्त कार्रवाई आवश्यक नहीं है। अदालत ने इस मामले में दायर कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।
अगस्त में फिल्म इंडस्ट्री पर 'फिल्म कॉन्क्लेव', आगे की चर्चा तब होगीकेरल सरकार ने अगस्त 2025 के पहले सप्ताह में एक फिल्म कॉन्क्लेव आयोजित करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा और समान अवसरों से जुड़े विषयों पर चर्चा करना है। अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 13 अगस्त 2025 तय की है, जहां इस विषय पर आगे विचार किया जाएगा।
रिपोर्ट को SIT को सौंपने का आदेशइससे पहले, केरल हाईकोर्ट ने हेमा कमेटी की पूर्ण रिपोर्ट को SIT को सौंपने का निर्देश दिया था, ताकि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के मामलों की विस्तृत जांच की जा सके। इस रिपोर्ट में कई गुमनाम शिकायतें भी शामिल थीं, जो इंडस्ट्री की भीतरी परतों में छिपी गंभीर समस्याओं को उजागर करती थीं।
क्यों नहीं आगे आईं पीड़िताएं?विशेषज्ञों का मानना है कि पीड़ित महिलाओं का आगे न आना कई कारणों से हो सकता है:
सामाजिक कलंक और पेशेवर डर: इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाएं अपने करियर को लेकर डर सकती हैं।
गोपनीयता भंग होने का खतरा: कई पीड़िताएं चाहती थीं कि उनकी पहचान उजागर न हो, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में गोपनीयता बनाए रखना मुश्किल होता है।
कानूनी पेचीदगियां और मानसिक दबाव: लंबी कानूनी लड़ाई और उससे जुड़ा मानसिक तनाव भी पीछे हटने का कारण हो सकता है।
क्या कहती है हेमा कमेटी की रिपोर्ट?हालांकि रिपोर्ट का पूरा विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन इसके कई हिस्सों से यह स्पष्ट होता है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को कार्यस्थल पर शोषण, यौन हिंसा, असमान वेतन और अवसरों में भेदभाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट ने फिल्म यूनियनों की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे, जहां पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाता।
हेमा कमेटी की रिपोर्ट और उस पर आधारित मामलों का इस तरह बंद हो जाना एक चिंता का विषय है। यह न केवल फिल्म इंडस्ट्री में मौजूद डर और असमानता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जब तक पीड़िताएं सुरक्षित और न्यायसंगत माहौल नहीं पाएंगी, तब तक वे आगे आकर अपनी बात नहीं रख पाएंगी।
अदालत द्वारा दी गई अगली तारीख — 13 अगस्त 2025 — इस दिशा में आगे की रणनीति तय करने में निर्णायक हो सकती है। साथ ही, यह फिल्म इंडस्ट्री, सरकार और न्यायपालिका के लिए एक मौका भी होगा कि वे मिलकर ऐसा वातावरण तैयार करें जिसमें महिलाएं खुलकर अपनी बात रख सकें।