चीन पहुंचे पीएम मोदी, आज करेंगे राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दो दिवसीय अप्रत्याशित शिखर वार्तांओं का दौर शुक्रवार से शुरू होगा। इस दौरान कार्यक्रमों में दोनों प्रमुख नेताओं की अनौपचारिक सीधी बातचीत, चीन के सबसे अच्छे म्यूजियम की यात्रा व एक मनमोहक झील के किनारे रात्रि भोज शामिल है। इस सम्मेलन को 'दिल से दिल को जोड़ने वाली पहल' करार दिया जा रहा है। रवाना होने से पहले मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों के रिश्तों की रणनीतिक और भविष्य के नजरिए से समीक्षा करेंगे। उम्मीद है कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में सुधार और दोकलम विवाद सहित कई जटिल मुद्दों पर मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करेंगे।

मोदी व शी शुक्रवार को दिन के भोजन के बाद अकेले में बैठक करेंगे। दोनों नेता शुरू में हुबई प्रांतीय संग्रहालय जाएंगे जहां बड़ी संख्या में एतिहासिक व सांस्कृतिक निशानियां मौजूद हैं। इसके बाद दोनों नेता वार्ता करेंगे जिसमें दोनों ओर से छह-छह आला अधिकारी भाग लेंगे। दोनों नेता चर्चित ईस्ट लेक के किनारे रात्रि भोज करेंगे जो कि चीन के क्रांतिकारी नेता माओ का माओत्से तुंग का पसंदीदा अवकाश गंतव्य रहा है। शनिवार को दोनों नेता झील के किनारे टहलेंगे, बोट में यात्रा करेंगे और भोज करेंगे।

मोदी ने कहा कि वह राष्ट्रपति जिनपिंग से द्विपक्षीय एवं वैश्विक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा दोनों नेता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूदा एवं भावी परिस्थितियों के मद्देनजर राष्ट्रीय विकास को लेकर अपने दृष्टिकोण एवं प्राथमिकताओं पर भी बात करेंगे। चीन के उप विदेश मंत्री कांग जुआनयू ने कहा कि दोनों नेता आपसी विश्वास बहाल करने और बकाया मुद्दों को हल करने पर सहमति कायम करने की कोशिश करेंगे।

दोनों नेताओं ने अपनी अनौपचारिक बैठकों की शुरुआत 2014 में की जब शी भारत गए और मोदी ने उनकी आगवानी गुजरात के साबरमति आश्रम में की। उसके बाद से दोनों नेता दर्जन भर अंतरराष्ट्रीय बैठकों में मिल चुके हैं। लेकिन यह इनके बीच दिल से दिल तक की बातचीत का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होगा। इस दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा।

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी की यह चौथी चीन यात्रा होगी। वह 9 और 10 जून को क्विंगदाओ शहर में होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन जा सकते हैं। डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को दूर करने के लिये हाल के समय में दोनों पक्षों ने कई कदम उठाये हैं। इस दिशा में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने चीन की यात्रा की थी।

अधिकारियों ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन मुद्दों को सुलझाने पर सहमति बनाने का प्रयास है जो कि किसी समझौते की घोषणा के बजाय बाद की कार्रवाई पर होगा। दोनों नेताओं के बीच इस तरह का संवाद पहली बार हो रहा है। वहीं नई दिल्ली से चीन की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, 'मैं चीन के वुहान की यात्रा पर जा रहा हूं जहां 27-28 अप्रैल को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर बैठक होगी।