अगले लोकसभा चुनाव आने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करीब 50 करोड़ भारतीयों के लिए कल्याणकारी योजना लेकर आ रहे हैं। लेकिन, इस महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन के लिए अब उनके पास सीमित समय और संसाधन है। लोकसभा चुनाव में उनके सामने आ रही चुनौतियों के बीच इससे बड़ा राजनीतिक फायदा मिल सकता है। लेकिन, इससे भारत के राजकोषीय घाटे पर और असर पड़ सकता है।
सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस वक्त चर्चा निजी स्तर पर चल रही है इसलिए उन्होंने अपनी पहचान ना बताने की शर्त पर बताया कि पीएम मोदी का शुरुआती लक्ष्य तीन कार्यक्रमों को चलाना है-
- वृद्धावस्था पेंशन
- जीवन बीमा
- मातृत्व लाभ
हालांकि, इसमें बेरोजगार, बच्चों को मदद और कामकाजी नागरिकों के लिए अन्य फायदों का कोई जिक्र नहीं है।
- सरकार ने सभी कर्मचारियों के लिए फायदे को ध्यान में रखते हुए एक बिल तैयार किया है जिनमें अनियमित कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है। जिसमें 15 सेंट्रल लेबर लॉ को एक साथ जोड़कर उसे आसान बनाया गया है। इसे जुलाई में आनेवाले शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पेश करने की योजना है।
- केन्द्रीय श्रमिक मंत्री संतोष गंगवार ने ब्लूमबर्ग न्यूज़ को बताया। हालांकि, इसे लोकसभा चुनाव से पहले पूर्ण रूप से लागू करने पर वे कुछ नहीं बोल पाए।
यह योजना देश की एक सौ तीस करोड़ की आबादी के लिए लाभकारी योजनाओं में से एक है और फरवरी में घोषणा की गई उस स्वास्थ्य योजना के बाद आ रही है जो 100 मिलियन गरीब परिवारों को ध्यान में रखकर ‘मोदी केयर’ का ऐलान किया गया था।
अधिकारी ने बताया कि अगला लोकसभा चुनाव अगले साल मई में होना है ऐसे में सरकार की योजना इसे कुछ महीनों में पहले छह जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाने की है।
नई दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में राजनीतिक विश्लेषक सतीश मिश्रा का कहना है- “देश के कामकाजीर लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा के महत्व को कोई इनकार नहीं कर सकता है जो उन्हें देने अभी बाकी है। लेकिन यह समय ऐसा बताता है कि ये इस वक्त राजनीतिक है और सरकार इसे जल्दबाजी में लागू करना चाहती है ताकि वह चुनाव प्रचार में इसे गरीबों के लिए तुरूप के पत्ते के तौर पर दावा कर सके।”