ओडिशा: बकरीद पर गाय की कुर्बानी की फैली अफवाह, भड़की हिंसा, 5 पुलिसकर्मियों सहित 15 घायल, कर्फ्यू लागू

भुवनेश्वर। ओडिशा के बालासोर कस्बे में बकरीद के मौके पर दो समुदायों के बीच जबरदस्त तनाव पैदा हो गया। प्रशासन को इस तनाव को देखते हुए इंटरनेट बंद करना पड़ा और भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी है। बताया जा रहा है कि हिन्दु समुदाय के कुछ लोगों ने कुछ मुसलमानों पर बकरीद पर गाय की कुर्बानी देने का आरोप लगाया है, जिससे पूरा हिन्दु समुदाय आक्रोशित हो गया। सोमवार की दोपहर को दोनों समुदायों के लोग आमने-सामने हो गए और हिंसक झड़पों की शुरूआत हो गई। यह घटना बालासोर के पात्रापाड़ा इलाके की है, जो हिन्दू और मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है। बताया जा रहा है कि कुछ स्थानीय लोगों को नाली का पानी लाल रंग में तब्दील होता दिखा। इस पर उन्हें संदेह हुआ कि शायद यह जानवरों का ही खून है।

इसी बीच यह चर्चा भी छिड़ गई कि गाय की कुर्बानी दी गई है। इस पर हिंदू समुदाय के लोगों में रोष व्याप्त हो गया। देखते ही देखते हिंदू और मुसलमानों की एक भीड़ आमने-सामने आ गई और पत्थरबाजी होने लगी। इस घटना में कम से कम 15 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 5 पुलिस वाले भी शामिल हैं। जिला प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लगा दी है। इसके बावजूद सोमवार की रात को मामला फिर से उग्र हो गया, जब एक समुदाय के कुछ लोगों ने पत्थरों, डंडों और कांच की बोतलों से दूसरे वर्ग के लोगों के घरों पर हमले किए।

यही नहीं बालासोर के ही गोलापोखारी, मोतीगंज और सिनेमा चंक इलाकों में कई वाहनों को भी आग लगा दी गई। उपद्रवियों की भीड़ ने कई गांवों में लोगों पर पत्थरबाजी की। घरों में आग तक लगाने का प्रयास किया और सड़क को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस को स्थिति पर नियंत्रण के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी। बालासोर के एसपी सागरिका नाथ ने बताया, 'हमने बालासोर के शहरी क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया है। इंटरनेट को बंद कर दिया है ताकि अफवाहों को रोका जा सके। हम लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे घरों से बाहर न निकलें। झड़पों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जाएगा।'

बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी और विधायक मानस कुमार दत्त ने लोगों से शांति की अपील की है। इसके अलावा नए बने मुख्यमंत्री मोहन माझी ने जिला प्रशासन से बात की है। बता दें कि आमतौर पर ओडिशा की गिनती देश के शांत राज्यों में होती है। राज्य में आखिरी बार अप्रैल 2017 में भद्रक में कर्फ्यू लगा था। तब रामनवमी के मौके पर सांप्रदायिक झड़प की घटनाएं हुई थीं, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।