
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तुर्की द्वारा पाकिस्तान के समर्थन पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि तुर्की को अपने इस रुख पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए। ओवैसी ने तुर्की-भारत के ऐतिहासिक संबंधों का हवाला देते हुए कहा, तुर्की में एक बैंक है, जिसका नाम इसबैंक (İşbank) है, जिसके शुरुआती जमाकर्ता भारतीय नागरिक थे। तुर्की और भारत के बीच ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं। हमें तुर्की को यह लगातार याद दिलाना चाहिए कि भारत में 20 करोड़ से अधिक मुस्लिम सम्मान और गरिमा के साथ रहते हैं, जो पाकिस्तान से कहीं ज्यादा हैं। पाकिस्तान जैसा व्यवहार करता आया है, उसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है।
ओवैसी ने आगे कहा, “मैं पहले भी कह चुका हूं और फिर कहूंगा कि युद्धविराम की घोषणा हमारे प्रधानमंत्री को करनी चाहिए थी, न कि अमेरिकी राष्ट्रपति को। क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच व्यापार केवल 10 अरब डॉलर का है, जबकि भारत और अमेरिका के बीच यह आंकड़ा 150 अरब डॉलर से अधिक है। क्या यह मजाक नहीं है? क्या अमेरिका यह गारंटी दे सकता है कि पाकिस्तान अब भारत पर आतंकी हमले नहीं करेगा? पाकिस्तान की सेना हमेशा भारत के खिलाफ साजिशें करती रहेगी, फिर हम कब तक चुप रहेंगे? पाकिस्तान से व्यापार कैसे किया जा सकता है, जो खुद भीख मांगने की हालत में है? हमें अमेरिका से सिर्फ इतनी उम्मीद है कि वह 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' को एक आतंकी संगठन घोषित करे, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक पाकिस्तान समर्थित संगठन है।”
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर ओवैसी की टिप्पणी‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत प्रमुख साझेदार देशों में भेजे जाने वाले सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक में असदुद्दीन ओवैसी को भी शामिल किया गया है। इस प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करना है।
ओवैसी ने कहा, “पहलगाम की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद हमारी सरकार ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा भारत में की गई आतंकी घटनाओं को देखते हुए, यह आवश्यक है कि भारत का पक्ष वैश्विक समुदाय के सामने मजबूती से रखा जाए। भारत का रुख हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है और रहेगा। मैं इस जिम्मेदारी को गंभीरता से निभाने की पूरी कोशिश करूंगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी ऐसा प्रतिनिधिमंडल भेजा गया था, और 2008 में भी यह प्रक्रिया अपनाई गई थी।
भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि का प्रतिनिधित्वओवैसी ने कहा, “लोगों ने हमें केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र का नहीं, बल्कि पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना है। भारत के सभी नागरिक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। मेरी जानकारी के अनुसार, जिस समूह में मैं शामिल हूं, उसका नेतृत्व मेरे मित्र बैजयंत जय पांडा करेंगे। इस समूह में संभवतः निशिकांत दुबे, फंगनन कोन्याक, रेखा शर्मा, सतनाम सिंह संधू और गुलाम नबी आजाद भी होंगे।” उन्होंने बताया कि यह प्रतिनिधिमंडल यूके, फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी, इटली और डेनमार्क जैसे देशों का दौरा करेगा।
ज्ञात हो कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसी के तहत सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सहयोगी देशों की यात्रा करेंगे, जिनमें से चार का नेतृत्व सत्तारूढ़ दलों के नेता करेंगे और तीन का विपक्षी दलों के नेता।