80 साल की बूढ़ी दादी के झुके कंधो पर आई 3 पोतियों की जिम्मेदारी, कैंसर से पिता तो कोरोना से मां की हुई मौत

कोरोना ने कई बच्चों के सिर से मन-बाप का साया छीन लिया हैं जिसकी मार्मिक कहानियां आंखों में आंसू ला देती हैं। राजस्थान के कोटा में कोरोना एक परिवार पर ऐसी ही एक आफत बनकर आया हैं जहां 3 पोतियों की जिम्मेदारी अब 80 साल की बूढ़ी दादी के झुके कंधो पर आ गई हैं। यहां चार साल पहले पिता की मौत हो गई थी और अब कोरोना से मां की मौत हो गई। यह दर्दभरी दास्तां है कोटा के सकतपुरा निवासी लक्ष्मीनारायण सुमन के परिवार की। चार साल पहले पिता की मौत के बाद 3 बेटियों का सहारा मां ही थी, वो ही सब्जी बेचकर किसी तरह इन्हें पाल रही थी। जिंदगी वापस पटरी पर आने लगी थी, लेकिन कोरोना ने मां को छीन लिया।

चार साल पहले 30 जनवरी 2017 को सत्यनारायण की 45 वर्ष की उम्र में कैंसर से मृत्यु हाे गई। उनकी पत्नी सुमन देवी ने जैसे -तैसे अपनी तीनों बेटियाें का भरण-पाेषण करने के लिए दिन में घर के बाहर सब्जी बेचने और रात काे घर में ही सिलाई का काम शुरू किया। पूर्व पार्षद विकास तंवर ने उनकी विधवा पेंशन व बच्चाें काे समाज कल्याण विभाग से पालनहार योजना की सहायता दिलवाई। जिंदगी की गाड़ी चलने लगी थी। अचानक सुमन देवी काेराेना की चपेट में आ गई काफी इलाज करवाया, लेकिन 27 अप्रैल 2021 को कोरोना के चलते मात्र 37 वर्ष की उम्र में ही उनकी भी मृत्यु हाे गई। अब परिवार में उनकी तीन बेटियां 17 वर्ष की प्रिया सुमन, 14 वर्षीय प्राची सुमन 10 वर्षीय प्रतीक्षा सुमन तथा इन बच्चाें की 80 वर्षीय दादी पुष्पा बाई, जो खुद बीमार चल रही है।

अब घर में कोई कमाने वाला भी नहीं बचा। जाे कुछ थाेड़ी सी जमा पूंजी थी, वाे मां के इलाज में खत्म हाे गई। आर्थिक की स्थिति भी कमजोर है। जाे पालनहार की योजना चालू कराई थी, वह भी डेढ़ वर्ष से बंद है। अभी तक कोई सरकार के किसी भी अधिकारी व जनप्रतिनिधि इनकी सहायता करने के लिए कोई भी इनसे मिलने नहीं आया। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कुछ सहायता के लिए मदद जुटाने का प्रयास कर रहे हैं।