कांग्रेस बार-बार आचार संहिता मामले में रोते हुए बच्चे की तरह बर्ताव न करे : जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस की तुलना रोते हुए बच्चे से की है। उन्होंने मंगलवार को अपने ब्लॉग में लिखा- कांग्रेस बार-बार आचार संहिता उल्लंघन का हवाला देना और किसी रोते हुए बच्चे की तरह बर्ताव करना बंद कर दे। आदर्श आचार संहिता की वजह से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म नहीं की जा सकती।

जेटली ने आगे लिखा, ‘‘आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का अतिक्रमण नहीं कर सकती। राजनीतिक दलों ने विरोधियों के खिलाफ हर बात पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाने का नया तरीका अपनाया है। आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग से करने वालों को ध्यान रखना चाहिए कि एमसीसी द्वारा किसी भी तरीके से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को कम नहीं आंका जा सकता है।’'

जेटली के मुताबिक, ‘‘इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी एक रोते हुए बच्चे के रूप में है, जो एक झुंड की अगुआई कर रही है। अनुच्छेद 19(1)(ए) हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से भाषण देने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 19(1)(ए) संविधान का एक अस्वीकार्य हिस्सा है। अनुच्छेद 19(1)(ए) का प्रभाव न संसद कम कर सकती, न सुप्रीम कोर्ट। चुनाव के दौरान भी यह अधिकार निलंबित या कम नहीं होता।’’

जेटली ने आगे लिखा है कि हालिया मामलों में प्रधानमंत्री ने पहली बार वोट डालने वालों से अपील की थी कि वे वोट देते समय शहीदों का बलिदान याद रखें। उनके इस भाषण में किसी पार्टी या उम्मीदवार का जिक्र नहीं था। दूसरा मामला कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) द्वारा वायनाड से चुनाव लड़ने के संबंध में की गई टिप्पणी का था। अगर इस तरह के भाषणों को एमसीसी के उल्लंघन के रूप में देखा गया, तो यह वास्तव में स्वतंत्र भाषण की संवैधानिकता पर प्रश्नचिन्ह है।