भारत देश एक गणतंत्र राज्य है जिसमें सबसे ऊपर देश के संविधान को माना जाता हैं। 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू किया गया जिसकी मदद से आजादी के बाद देश की रूपरेखा तय करने में मदद मिली। हमारे देश के संविधान को बनाने में 2 वर्ष, 11माह, 18 दिन का समय लगा। संविधान के लागू होने के बाद भी इसमें कई बदलाव किये गए जिन्हें संविधान संशोधन के रूप में जाना जाता हैं। आज हम आपको साल 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं 42वें संविधान संशोधन के मुख्य बिंदु के बारे में।
* संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी', 'धर्मनिरपेक्ष' एवं 'एकता और अखंडता' आदि शब्द जोड़े गए।
* सभी नीति निर्देशक सिद्धांतो को मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता सुनिश्चित की गई।
* इसके अंतर्गत संविधान में दस मौलिक कर्तव्यों को अनुच्छेद 51(क), (भाग-iv क) के अंतर्गत जोड़ा गया।
* इसके द्वारा संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुख्यत किया गया।
* सभी विधान सभाओं एवं लोक सभा की सीटों की संख्या को इस शताब्दी के अंत तक के स्थिर कर दिया गया।
* लोक सभा एवं विधान सभाओं की अवधि को पांच से छह वर्ष कर दिया गया।
* इसके द्वारा यह निर्धारित किया गया की किसी केंद्रीय कानून की वैधता पर सर्वोच्च न्यायालय एवं राज्य के कानून की वैधता का उच्च न्यायालय परिक्षण करेगा। साथ ही, यह भी निर्धारित किया गया कि किसी संवैधानिक वैधता के प्रश्न पर पांच से अधिक न्यायधीशों की बेंच द्वारा दी तिहाई बहुमत से निर्णय दिया जाना चाहिए और यदि न्यायाधीशों की संख्या पांच तक हो तो निर्णय सर्वसम्मति से होना चाहिए।
* इसके द्वारा वन संपदा, शिक्षा, जनसंख्या- नियंत्रण आदि विषयों को राज्य सूचि से समवर्ती सूची के अंतर्गत कर दिया गया।
* इसके अंतर्गत निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद एवं उसके प्रमुख प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
* इसने संसद को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने के अधिकार दिए एवं सर्वोच्चता स्थापित की।