भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के गिरने से घाटी में आतिशबाजी, कहा- सरकार टूट गई, देर आए दुरुस्त आए...

जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का 40 महीना पुराना गठबंधन टूट गया है। भाजपा ने महबूबा सरकार से मंगलवार को समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। वही भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के गिरने से घाटी के लोग खुश नजर आ रहे हैं।

कश्मीर के कई जगह पर आतिशबाजी भी की गई

- स्थानीय नागरिक मोहम्मद इमरान ने सरकार गिरने के बाद कहा कि भाजपा पीडीपी सरकार के दौरान हर साल लोगों को समस्याएं आ रही थीं। आम नागरिकों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। महबूबा मुफ्ती अपनी कुर्सी बचाने के लिए अक्सर नई दिल्ली चली जाती थीं। उन्हें कुर्सी का लालच हो गया था। केंद्र ने इससे पहले भी शेख अब्दुल्ला की सरकार को गिरा दिया था। अब दोबारा केंद्र ने अपना फैसला लिया है।

बता दे, जम्मू-कश्मीर के हालात को नजदीक से जानने वालों का मानना है कि यह तो होना ही था। बस यह नहीं पता था कि कब? पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा भी इसे बेमेल गठबंधन बताते हैं।

- एक अन्य नागरिक ने बताया कि कासो के नाम पर आम जनता को तंग किया जा रहा था। महबूबा मुफ्ती माउथ पीस बनकर रह गई हैं। दिल्ली के इशारों पर काम हो रहा था। सरकार टूट गई, देर आए दुरुस्त आए।

- अन्य नागरिक ने कहा कि पीडीपी के पास सरकार से समर्थन वापस लेने के कई मौके थे। कठुआ कांड और घाटी में नागरिकों को मारने के मुद्दे पर समर्थन वापस लिया जा सकता था। गठबंधन ही अपवित्र और अप्राकृतिक था। अब लोगों ने राहत की सांस ली है।

गठबंधन टूटने से रशीद खुश

निर्दलीय विधायक इंजीनियर रशीद ने गठबंधन सरकार के टूटने का स्वागत किया है। उनके अनुसार केंद्र सरकार ने पहले भी शेख अब्दुल्ला की सरकार को गिराया था। उसके बाद कश्मीर के हालात खराब हुए थे। इस बार का गठबंधन टूटने से लोगों में खुशी का माहौल है।

पीडीपी का राजनीतिक एजेंडा भाजपा से कहीं भी मेल नहीं खाता

भाजपा का जम्मू-कश्मीर में कश्मीर, जम्मू और लद्दाख क्षेत्र को लेकर अलग नजरिया है। जम्मू में संघ कई दशक से काम कर रहा है। वहां हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी है। जम्मू से लगे लद्दाख क्षेत्र की भी भाजपा हिमायती है और यह उसके राजनीतिक एजेंडे में है कि घाटी (कश्मीर) से विस्थापित कश्मीरी पंडितों की राज्य में वापसी हो, उनका पुनर्वास हो। राज्य में हिंदू हितों की रक्षा हो। जम्मू-कश्मीर के लिए आवांटित विकास का पैसा संतुलित तरीके से कश्मीर, जम्मू और लद्दाख क्षेत्र में प्रयोग में लाया जाए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इन सभी के बीच में संतुलित समीकरण बिठाते हुए लोकतंत्र के साथ-साथ जम्हूरियत और कश्मीरियत की नीति को अपनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की इस नीति से अपने राजनीतिक एजेंडे के हिसाब से भटकती रही है।

पीडीपी का राजनीतिक एजेंडा भाजपा से कहीं भी मेल नहीं खाता। पीडीपी कश्मीर घाटी में कश्मीर की आवाम के लिए और कश्मीरियत पर केंद्रित राजनीति करती है। जम्मू में इसका प्रभाव सीमित रहता है। लद्दाख और जम्मू क्षेत्र को लेकर इसका नजरिया अलग है। दोनों का राजनीतिक एजेंडा करीब-करीब सामानांतर है।