
जयपुर। राजस्थान में नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया अब अंतिम चरणों में पहुंचती नजर आ रही है। प्रदेश की भजनलाल शर्मा सरकार ने निकायों के पुनर्गठन और परिसीमन को लेकर तेज़ी से कदम बढ़ाए हैं। उम्मीद की जा रही है कि जून माह के अंत तक जयपुर से पहला औपचारिक नोटिफिकेशन जारी हो सकता है, जिसके बाद दिसंबर तक चुनाव कराए जा सकते हैं।
नोटिफिकेशन की उलटी गिनती शुरूराज्य सरकार द्वारा नगर निकायों के पुनर्गठन और परिसीमन को लेकर जारी की गई गाइडलाइंस के आधार पर जिला प्रशासन ने जो प्रस्ताव भेजे थे, उनके संबंध में उठी आपत्तियों और सुझावों के निस्तारण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसी के चलते पुनर्गठन से संबंधित पहला अधिसूचना इसी महीने जारी होने की संभावना जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा स्वयं इस विषय पर गंभीर हैं और उन्होंने एक विशेष मंत्री समूह के साथ तीन अहम बैठकें कर 80 फीसदी निकाय परिसीमन प्रस्तावों पर सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है। सूत्रों की मानें तो कोटा और जोधपुर समेत करीब दो दर्जन नगर निकायों के परिसीमन मसले पर अंतिम निर्णय के लिए एक और बैठक इस सप्ताह प्रस्तावित है।
312 निकायों के लिए चुनाव की संभावनाएंप्रदेश में कुल 312 नगर निकाय हैं, जिनमें 13 नगर निगम, 51 नगर परिषद और लगभग 245 नगर पालिकाएं शामिल हैं। इन सभी का पुनर्गठन होते ही राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर देगा।
यदि राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आयोग द्वारा अगस्त तक आरक्षण संबंधी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाती है, तो नवंबर-दिसंबर तक इन सभी निकायों में चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्य सरकार इस दिशा में चुनाव आयोग के साथ समन्वय बनाकर आगे बढ़ रही है।
हाईकोर्ट में लंबित याचिकाएं भी निर्णायक मोड़ परनगर निकायों के परिसीमन में 2011 की जनगणना को आधार बनाने पर सवाल उठाते हुए तारानगर, बड़ी सादड़ी और देवगढ़ से याचिकाएं हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं। इसके साथ ही डीडवाना-कुचामन की बोरावड़ नगर पालिका में गांव जोड़ने के फैसले को भी चुनौती दी गई है। इन सभी मामलों में सरकार और स्वायत्त शासन विभाग द्वारा इसी महीने कोर्ट में जवाब दाखिल किया जाना है।
राजस्थान में भले ही अभी चुनाव की आधिकारिक तारीखें घोषित नहीं हुई हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां चरम पर हैं। सरकार, मंत्री समिति और निर्वाचन आयोग मिलकर दिसंबर 2025 तक निकाय चुनाव कराने की दिशा में लगातार कार्यरत हैं। नोटिफिकेशन के बाद की प्रक्रिया यदि समयबद्ध रही तो प्रदेश में एक बार फिर लोकतांत्रिक सहभागिता की रंगत देखने को मिलेगी।