
जयपुर में शुक्रवार रात हुए विवाद के बाद शनिवार शाम को एक बार फिर हालात बिगाड़ने की कोशिश की गई। जौहरी बाजार में प्रदर्शन के नाम पर कुछ लोग जबरन दुकानों को बंद कराने लगे। मौके पर मौजूद पुलिस ने हल्का बल प्रयोग करते हुए भीड़ को तितर-बितर कर दिया और शांति व्यवस्था बहाल की। जानकारी के मुताबिक, शाम करीब 6 बजे बड़ी संख्या में लोग जौहरी बाजार में एकत्र हुए और जबरन दुकानों को बंद कराने लगे। सूचना मिलते ही पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और समझाइश का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों के न मानने पर पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को हटाया और दुकानों को खुलवाया। इसके बाद यातायात व्यवस्था को भी बहाल कर दिया गया। साथ ही, पुलिस ने शहर में फ्लैग मार्च करते हुए जनता से शांति बनाए रखने की अपील की।
कमिश्नर का बयान: हालात बिगड़ने से पहले ही नियंत्रण में लियाजयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ ने बताया कि किसी भी तरह से हालात को बिगड़ने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति शांति व्यवस्था भंग करने की कोशिश करेगा, तो पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी और ऐसे लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं बरती जाएगी। कमिश्नर ने यह भी बताया कि समाज के वरिष्ठ लोगों से बातचीत कर प्रदर्शन रोकने का आश्वासन लिया गया था, फिर भी कुछ लोग जौहरी बाजार के पास एकत्र हुए थे, जिन्हें समझाइश के बाद वहां से हटाया गया।
कैसे शुरू हुआ विवाद: पोस्टर लगाने से फैला तनावविवाद की शुरुआत शुक्रवार रात हुई थी, जब पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में जयपुर के परकोटे इलाके में पैदल मार्च निकाला गया। इस मार्च में भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य और उनके समर्थक भी शामिल हुए। इसी दौरान विधायक द्वारा जामा मस्जिद के बाहर आपत्तिजनक पोस्टर लगाए गए, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
पोस्टर में क्या लिखा था?बताया जा रहा है कि पोस्टरों में संदेश था, कौन कहता है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता? पोस्टर में एक दाढ़ी वाले व्यक्ति की तस्वीर भी थी। इसके बाद देर रात बड़ी संख्या में लोग बड़ी चौपड़ और आसपास के इलाकों में जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
भाजपा विधायक पर आरोप है कि वह और उनके समर्थक मस्जिद के अंदर घुसे, नमाज के समय आपत्तिजनक नारे लगाए और मस्जिद की सीढ़ियों पर पोस्टर चिपकाए। इस घटनाक्रम ने इलाके में तनाव बढ़ा दिया।
विरोध प्रदर्शन में नेताओं की भूमिकाविरोध कर रही भीड़ को शांत करने की कोशिश कांग्रेस विधायक रफीक खान और अमीन कागजी ने की, लेकिन तत्काल कोई असर नहीं हुआ। बाद में जब भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और पुलिस कमिश्नर ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब काफी मशक्कत के बाद भीड़ को हटाया गया और इलाके को खाली कराया गया।
नेताओं की प्रतिक्रियाभाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि मस्जिद की ओर विधायक का जाना उचित नहीं था। उन्होंने कहा कि ऐसी संवेदनशील परिस्थितियों में जनप्रतिनिधियों को संयम बरतना चाहिए और समाज में सौहार्द बनाए रखना चाहिए। वहीं, कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री से विधायकों पर नियंत्रण रखने की मांग की ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। कांग्रेस विधायक रफीक खान ने सवाल उठाया कि जब सभी धार्मिक स्थलों के प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है, तो किसी को चप्पल पहनकर मस्जिद में प्रवेश करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बालमुकुंद आचार्य जैसे व्यक्ति को विधायक बने रहने का अधिकार नहीं है।