गूगल ने अपने डूडल के जरिये किया इस वैज्ञानिक को याद, कैफीन का किया था आविष्कार

आज गूगल (Google) अपने खूबसूरत डूडल (Doodle) के जरिये महान जर्मन रसायन वैज्ञानिक फ्रेडलिब फर्डिनेंड रन्गे (Friedlieb Ferdinand Runge) की 225वीं बर्थडे मना रहा है। फ्रेडलीब फर्डिनेंड रन्गे (Friedlieb Ferdinand Runge Birthday) के जन्मदिन पर सर्च इंजन गूगल ने अपने होमपेज पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित किया है। फ्रेडलीब फर्डिनंड रंज का जन्म 8 फरवरी, 1794 को जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में हुआ। वह ऐनालिटिकल केमिस्ट था यानी चीजों की रासायनिक खासियत के बारे में पता लगाते और बताते थे। उन्होंने बर्लिन में औषधि की पढ़ाई की और उसके बाद जेना की यूनिवर्सिटी में चले गए। जेना जर्मनी का यूनिवर्सिटियों वाला शहर है। वहां उन्होंने प्लांट केमिस्ट्री पर अपना ध्यान लगाया। 1822 में उन्होंने पौधों से निकलने वाले जहरीले रस पर अपनी पीएचडी पूरी की।

फ्रीडलिब ने अफने बचपन से ही रसायन विज्ञान की तरफ रुचि लेनी शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने कई सारे प्रयोग भी करने शुरू कर दिए थे। आपको बता दें कि फ्रेडलीब फर्डिनेंड वही महान वैज्ञानिक हैं जिन्होंने कैफीन (caffeine) की खोज की थी। अपने प्रयोग के दौरान उन्होंने एक बार बेल्डोना पौधे के रस से कोई प्रयोग करना शुरू किया लेकिन इस रस की कुछ बूंदें उनकी आंखों में चली गई जिसका उनपर काफी घातक असर हुआ। उस दौरान वे अपने टीनेज अवस्था में थे लेकिन इसके 10 सालों के बाद उन्होंने एक बार फिर से बेल्डोना पौधे के रस के ऊपर प्रयोग किया। इस समय वे जेना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, यहां उनके प्रोफेसर ने उन्हें ये प्रयोग करने के लिए कहा था। जब वह प्रयोग कर रहे थे उसी बीच उन्होंने कैफीन की पहचान कर ली थी। बता दें कि कैफीन वही पदार्थ है जो कॉफी में पाया जाता है।

फ्रीडलिब ने अफने बचपन से ही रसायन विज्ञान की तरफ रुचि लेनी शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने कई सारे प्रयोग भी करने शुरू कर दिए थे। आपको बता दें कि फ्रेडलीब फर्डिनेंड वही महान वैज्ञानिक हैं जिन्होंने कैफीन की खोज की थी। अपने प्रयोग के दौरान उन्होंने एक बार बेल्डोना पौधे के रस से कोई प्रयोग करना शुरू किया लेकिन इस रस की कुछ बूंदें उनकी आंखों में चली गई जिसका उनपर काफी घातक असर हुआ। उस दौरान वे अपने टीनेज अवस्था में थे लेकिन इसके 10 सालों के बाद उन्होंने एक बार फिर से बेल्डोना पौधे के रस के ऊपर प्रयोग किया। इस समय वे जेना यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे, यहां उनके प्रोफेसर ने उन्हें ये प्रयोग करने के लिए कहा था। जब वह प्रयोग कर रहे थे उसी बीच उन्होंने कैफीन की पहचान कर ली थी। बता दें कि कैफीन वही पदार्थ है जो कॉफी में पाया जाता है।

यह तो हम सभी जानते है कि दिमाग से ही हमारे शरीर के सभी अंगों को निर्देश मिलता है। छत से कूदने से जान जा सकती है और खौलते हुए पानी में हाथ डाला तो मतलब हाथ का काम तमाम। ये सब बातें दिमाग ही बताता है। बाकी शरीर के अंग तो उस पर अमल करते हैं। सोचिए दिमाग अगर काम करना बंद कर दे तो क्या होगा। ऐसा नहीं है कि दिमाग हमेशा ही काम करता रहता है। कभी-कभी यह सही से काम करना बंद कर देता है। ऐसी हालत को मसल स्पैस्टिसिटी (muscle spasticity) कहा जाता है। इस बीमारी का शिकार आदमी न सही से चल सकता है और न बोल सकता है। कई बार जिंदा लाश भी बन जाता है। इस बीमारी से इंसान को निजात दिलाता है फेनॉल (Phenol) का इंजेक्शन। इसी फेनॉल के इंजेक्शन की खोज भी फ्रेडलीब फर्डिनेंड रन्गे ने ही की थी।

कैफीन के अलावा फ्रेडलिब ने कोलतार डाई की भी खोज की जिसकी सहायता कपड़ों में रंगाई का काम किया जाता है। इतना ही नहीं वे कुनैन के आविष्कारक भी कहे जाते हैं। कुनैन वह पदार्थ है जिसकी मदद से मलेरिया के इलाज की दवाईयां बनाई जाती है। इन सबके अलावा उन्होंने चुकंदर के रस से चीनी निकालने की प्रक्रिया का भी इजाद किया था।