भारत के पूर्व रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीज (George Fernandes) का 88 साल की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया। वह काफी लंबे समय से अल्जाइमर रोग से पीड़ित थे और वे अभी बिस्तर पर ही रहते थे। पारिवारिक सूत्रों ने उनके निधन की पुष्टि की है। उन्होंने दिल्ली के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली। फर्नांडीज का बेटा विदेश में रहता है, उनके वापस आने के बाद उनका संस्कार किया जाएगा। फर्नांडीस का जन्म 3 जून 1930 को मैंगलोर में हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में जॉर्ज फर्नांडिस रक्षा मंत्री रहे। वह 1998 से 2004 के बीच देश रक्षा मंत्री रहे। 2004 में ताबूत घोटाला सामने आने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बाद में दो अलग-अलग कमिशन ऑफ इन्क्वायरी में उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया था। फर्नांडीज सबसे पहले साल 1967 में लोकसभा सांसद चुने गए थे। रक्षामंत्री के अलावा उन्होंने कम्यूनिकेश, इंडस्ट्री और रेलवे मंत्रालयों की भी कमान संभाली है।
जॉर्ज फर्नांडिस 10 भाषाओं के जानकार थे- हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, मराठी, कन्नड़, उर्दू, मलयाली, तुलु, कोंकणी और लैटिन। उनकी मां किंग जॉर्ज फिफ्थ की बड़ी प्रशंसक थीं। उन्हीं के नाम पर अपने छह बच्चों में से सबसे बड़े का नाम उन्होंने जॉर्ज रखा था। मंगलौर में पले-बढ़े फर्नांडिस जब 16 साल के हुए तो एक क्रिश्चियन मिशनरी में पादरी बनने की शिक्षा लेने भेजे गए। पर चर्च में पाखंड देखकर उनका उससे मोहभंग हो गया। उन्होंने 18 साल की उम्र में चर्च छोड़ दिया और रोजगार की तलाश में बंबई चले आए। बिखरे बाल, और पतले चेहरे वाले फर्नांडिस, तुड़े-मुड़े खादी के कुर्ते-पायजामे, घिसी हुई चप्पलों और चश्मे में खांटी एक्टिविस्ट लगा करते थे। कुछ लोग तभी से उन्हें ‘अनथक विद्रोही’ (रिबेल विद्आउट ए पॉज़) कहने लगे थे। जंजीरों में जकड़ा उनकी एक तस्वीर इमरजेंसी की पूरी कहानी बयां करती है।