कुंभ के दौरान फर्जी कोरोना टेस्टिंग, ED ने लैब्स पर मारे छापे; जब्त किए फर्जी बिल, मोबाइल, लैपटॉप और 30.9 लाख रुपए

कोरोना काल में उत्तराखंड में हुए कुंभ मेले को लेकर केंद्र सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था वहीं, अब कुंभ मेले के दौरान हुए फर्जी कोरोना टेस्टिंग रिपोर्ट बनाकर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने का मामला सामने आया है। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने शुक्रवार को इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पांच डायग्नोस्टिक फर्मों के टॉप अधिकारियों के घरों और ऑफिस पर छापा मारा है। इस दौरान फर्जी बिल, लैपटॉप, मोबाइल फोन, संपत्ति के कागजात और 30.9 लाख रुपए नगद जब्त किए गए।

जांच एजेंसी ने जिन कंपनियों पर छापा मारा, उनमें नोवस पाथ लैब्स, DNA लैब्स, मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, डॉ. लाल चंदानी लैब्स और नलवा लैबोरेटरीज शामिल हैं। दरअसल, उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद ED ने जांच शुरू की। इन प्रयोगशालाओं को उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले के दौरान रैपिड एंटीजन टेस्ट और RT-PCR टेस्ट कराने का ठेका दिया था। आरोप है कि इन्होंने टेस्टिंग की जितनी संख्या दिखाई, उतनी हुई नहीं थी। लिस्ट में बहुत से नाम फर्जी थे। राज्य सरकार अब तक इन लैब्स को 3 करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान कर चुकी है। इन लैब्स की फर्जी निगेटिव टेस्टिंग की वजह से उस समय हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 0.18% रहा, जो कि हकीकत में 5.3% था।

जो कुंभ में गए नहीं उनके नाम भी लिस्ट में शामिल

ED ने बताया कि उन्होंने कई लोगों के लिए एक ही मोबाइल नंबर, पते और फॉर्म का इस्तेमाल किया। बिना टेस्ट किए ही कई लोगों के नाम इसमें जोड़ दिए गए। इनमें से बहुत से लोग ऐसे थे, जो कुंभ गए ही नहीं थे। दरअसल, पंजाब के एक व्यक्ति के मोबाइल पर कुंभ में कोरोना जांच कराने का मैसेज आया, जबकि वह हरिद्वार गए ही नहीं थे। उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई। इस मामले में ICMR की सक्रियता पर राज्य सरकार ने मामले की जांच शुरू की। शुरुआत में 1 लाख से अधिक फर्जी कोरोना टेस्टिंग करने की बात सामने आई। बता दें कि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक कुंभ मेला एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक उत्तराखंड राज्य में आयोजित किया गया था।